राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ) 15 जून। छत्तीसगढ़ शासन संस्कृति विभाग के सहयोग से संस्था ‘रंगसरोवर’ की प्रस्तुति लोकनाट्य उत्सव में वैराग्य की गाथा “भरथरी” का मंचन 14 जून शनिवार की शाम शहर के गोविंद राम निर्मलकर सभागार में हुआ।
प्रख्यात लोकगायिका और भरथरी गायन की पुरोधा स्व. सुरूज बाई खांडे को समर्पित इस नाट्य मंचन की अतिथियों और दर्शकों ने मुक्तकंठ से सराहना की। खास कर एक राजा को संन्यासी स्वरूप में देख दर्शक भी भावुक हो गए। मूल रूप से वैराग्य की इस गाथा ने दर्शकों को अंत तक बांधे रखा।

120 मिनट की सधी हुई इस प्रस्तुति में 50 से अधिक सदस्य टीम में शामिल थे। जिसमें कथानक के साथ 15 से अधिक गीतों की प्रस्तुति भी हुई। पूरी टीम की तीन महीने की रिहर्सल का नतीजा मंच पर नजर आ रहा था।
लोक गाथा “भरथरी” के मंचन में प्रमुख भूमिकाओं में राजा “भरथरी”-मिथुन खोटे, “भरथरी” की माँ रानी फुलवा-भावना वाघमारे, भगवान/गोरखनाथ-चन्द्रहास बघेल, “भरथरी” की पत्नी रानी सामदेई-योगिता मढ़रिया, “भरथरी” की साली रानी रूपदेई-जागेश्वरी मेश्राम, कैना जागेश्वरी मेश्राम,चंपा चेरी-निधि साहू/रोशनी वर्मा,काला मिरगा/सेवक-दीपक कुमार ध्रुव,मिरगिन-रोशनी वर्मा, निधि, योगिता, सिन्धु, जागेश्वरी,कथावाचक (बबा)-अमरसिंह लहरे,नाती-उत्तम साहू, गायन स्वर में राजेन्द्र साहू, गंगा प्रसाद साहू, योगिता मढ़रिया, सिन्धु सोन,वाद्य वृन्द में भारत बघेल, मोहन साहू, मोनू पाटिल, खेम यादव और गिरवर साहू शामिल हैं।

इनके अलावा मंच सज्जा-उत्तम साहू, दीपक ध्रुव, चन्द्राहास बघेल,वेशभूषा एवं हस्त सामग्री-भावना वाघमारे, दीपक ध्रुव,ध्वनि प्रभाव-चेतन साहू,प्रकाश प्रभाव-भूपेन्द्र साहू/लव कुमार साहू/बड़का,प्रस्तुति व्यवस्थापक-मलयज साहू/लव कुमार साहू,प्रचार प्रसार-मलयज साहू/अजय मेश्राम और उद्घोषक के तौर पर आरजे नमित साहू का योगदान रहा।