धन कभी सुख , सुंदर स्वास्थ्य वशांति नहीं दे सकता – जैन‌ संत हर्षित मुनि

धन कभी सुख , सुंदर स्वास्थ्य वशांति नहीं दे सकता – जैन‌ संत हर्षित मुनि

धन के लिए जीवन नहीं बल्कि जीवन चलाने के लिए धन जरूरी

राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) 24 अगस्त। जैन संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि संपन्न होने के बावजूद भी व्यक्ति संपत्ति बनाने और पैसा कमाने में लगा रहता है, इसी को कहते हैं धन के प्रति मोह। उन्होंने कहा कि यह मोह व्यक्ति पर अनंत काल से हावी है। पारिवारिक जीवन के लिए धन की आवश्यकता होती है किंतु धन के लिए जीवन नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि धन भौतिक सुख दे सकता है किंतु सुख सुंदर स्वास्थ्य और शांति नहीं दे सकता।
समता भवन में आज संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि धन अपने साथ बारात लेकर आती है। इस बारात में दुख, खटास, दरार, दूरी और अहम शामिल होते हैं। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति कुछ हजार कमाकर सोता है और एक व्यक्ति प्रतिदिन करोड़ों रुपए कमाकर सोता है, दोनों के ही सोने में अंतर होता है। एक चैन की नींद सोता है और दूसरा नींद की गोलियां खाने के बाद भी चैन से सो नहीं पाता। उसके पास भौतिक सुख तो होता है किंतु उसके पास मौलिक सुख नहीं होता। धन कमाने के लिए वह अपनी नियमित दिनचर्या से दूर हो जाता है। उन्होंने कहा कि जीवन भर वह जिन सुखों को कमाने के लिए समय लगा देता है, बुढ़ापे में वही सुख उससे दूर हो जाते हैं। युवावस्था में वह जिस खाने को ठुकराता है, बुढ़ापे में वही चीज वह खा नहीं पाता।
संत श्री ने कहा कि हम धन कमाने के लिए जीवन जीने के तरीके को टालते जा रहे हैं और जब उसके उपभोग का समय आता है, तब हमारी कमाई का 40 फ़ीसदी हिस्सा डॉक्टरों के पास चला जाता है। उन्होंने कहा कि संबंधों पर भी धन असर डालता है। धन कमाने की लोलुपता में व्यक्ति अपने परिवार से भी दूर हो जाता है। वह अपने परिवार वालों को समय नहीं दे पाता। बच्चों से दूर रहने के कारण बच्चों में उसके प्रति लगाव नहीं हो पाता । युवावस्था में वह बच्चों को समय नहीं दे पाता और जब उसे बच्चों की जरूरत होती है तब बच्चों के पास उसके लिए समय नहीं होता। पैसों का दरार उतना बड़ा दरार नहीं है जितना बड़ा परिवार का दरार है। जैसे-जैसे धन बढ़ता है, वैसे-वैसे व्यक्ति के व्यवहार में भी फर्क आता है। व्यक्ति में अहम आ जाता है। इस धन से पुराने संबंधों में भी दरार आ जाती है। उन्होंने कहा कि अपने व्यवहार में नियंत्रण रखो और यह याद रखो कि धन अपने साथ बारात लेकर आती है और इस बारात में दुख, खटास, दरार, दूरी और अहम शामिल होते हैं। इसलिए जीवन चलाने के लिए धन कमाएं ना कि धन के लिए जीवन खपाएं। यह जानकारी एक विज्ञप्ति में विमल हाजरा ने दी।

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