रायपुर(अमर छत्तीसगढ़) 24 अगस्त 2022/छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग आयोग को जनवरी 2021 से दिसम्बर 2021 की स्थिति में कुल 4893 अपील/शिकायत का आवेदन प्राप्त हुआ, जिनमें से 5143 प्रकरणों का निराकरण किया गया। इन निराकृत अपील/शिकायत के प्रकरणों में राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एम. के. राउत ने 1369 अपील/शिकायत के प्रकरणों का निराकरण किया। इसी प्रकार राज्य सूचना आयुक्त श्री अशोक अग्रवाल ने 1544 अपील/शिकायत के प्रकरणों का निराकरण किया। राज्य सूचना आयुक्त मनोज त्रिवेदी ने 1413 प्रकरणों और राज्य सूचना आयुक्त धनवेन्द्र जायसवाल ने 883 अपील/शिकायत के प्रकरणों का निराकरण किया।
सूचना व्यक्ति के ज्ञान का स्त्रोत है। वह विकास की आधारभूत ‘शक्ति है । सूचना व्यक्ति के जीने और संघर्ष करने की सामर्थ को बढ़ाती है, जो सूचना दे रहा है उसमें सहयोग पारदर्शिता और संयम को विकसित करती है। केन्द्र और राज्य सरकारों के अतिरिक्त पंचायतीराज सरथाएँ, स्थानीय शासन तथा गैर-सरकारी संगठन जिन्हें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सरकारी अनुदान प्राप्त होता है को, इस कानून में शामिल किया गया है।
छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग आयोग को जनवरी 2021 से दिसम्बर 2021 तक 2324 द्वितीय अपील के प्रकरण प्राप्त हुए जिनमें 3801 प्रकरणों का निराकरण किया गया। निराकृत द्वितीय अपील के प्रकरणों में मुख्य सूचना आयुक्त श्री राउत ने 994 प्रकरण, राज्य सूचना आयुक्त अशोक अग्रवाल के द्वारा 1124 द्वितीय अपील के प्रकरण निराकरण किये गये शामिल हैं। इसी प्रकार राज्य सूचना आयुक्त मनोज त्रिवेदी ने 473 प्रकरणों और राज्य सूचना आयुक्त धनवेन्द्र जायसवाल ने 504 द्वितीय अपील के प्रकरणों का निराकरण किया।
जनवरी 2021 से दिसम्बर 2021 तक 1470 शिकायत के प्रकरण प्राप्त हुए जिनमें 1342 शिकायत के प्रकरणों का निराकरण किया गया, जिनमें राज्य मुख्य सूचना आयुक्त श्री राउत ने 375 शिकायत प्रकरणों का, राज्य सूचना आयुक्त श्री अशोक अग्रवाल के द्वारा 509 शिकायत के प्रकरणों का निराकरण किया गया, शामिल है। इसी प्रकार राज्य सूचना आयुक्त श्री मनोज त्रिवेदी के द्वारा218 शिकायत प्रकरणों और राज्य सूचना आयुक्त श्री धनवेन्द्र जायसवाल के द्वारा 240 शिकायत के प्रकरणों का निराकरण किया गया,शामिल है।
राज्य सूचना आयोग में प्रशासनिक एवं कार्यसुविधा की दृष्टि से सूचना आयुक्तों के मध्य आयोग के कार्यो का विभाजन किया गया हैं। वर्तमान में आयोग में चार वीडियो कांफ्रेसिंग की सुविधा है, जिसका उपयोग राज्य के सुदुर क्षेत्रों के जिलें के आवेदकों, शिकायतकर्ताओं से प्राप्त प्रकरणों की सुनवाई के लिए निरन्तर की जा रही है। मुख्य सूचना आयुक्त श्री राउत ने बताया कि आयोग द्वारा अपील प्रकरणों में सुनवाई के समय जनसूचना अधिकारी एवं अपीलार्थी को नोटिस देकर निर्धारित तिथि को अभिलेखों के साथ बुलाया जाता है तथा दोनों पक्षों को अपना तर्क प्रस्तुत करने के लिए समुचित अवसर प्रदान किया जाता है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग ने द्वितीय अपील और शिकायतों की सुनवाई कर समयबद्ध निराकरण किया जाता है।
अपीलार्थी और जनसूचना अधिकारी, प्रथम अपीलीय अधिकारी को प्रकरण से संबंधित तर्क, जवाब लिखित रूप से आयोग को ई-मेल, व्हाट्सअप और फैक्स से भेजने निर्देशित किया गया। मुख्य सूचना आयुक्त श्री एम. के. राउत ने बताया कि कोविड-19 के तहत कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत द्वितीय अपील और शिकायत के प्रकरणों की सुनवाई वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से की जा रही है।
जानकारी समय पर उपलब्ध नहीं कराने वाले तीन जनसूचना अधिकारी को 25-25 हजार रूपए का अर्थदण्ड अधिरोपित
रायपुर(अमर छत्तीसगढ़), 24 अगस्त 2022/ सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का समय पर पालन नहीं करने और समय पर आवेदक को जानकारी उपलब्ध नहीं कराने के कारण सूचना का अधिकार अधिनियम के प्रति घोर लापरवाही और अज्ञानता के लिए तत्कालीन तीन जनसूचना अधिकारियों को 25-25 हजार रूपए अर्थदण्ड अधिरोपित करते हुए अधिरोपित राशि तत्काल जमा कर चालान की प्रति आयोग को प्रेषित करने निर्देश दिए हैं। यह कार्यवाही छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग के राज्य सूचना आयुक्त श्री धनवेन्द्र जायसवाल ने की है।
सरकारी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए साल 2005 में सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून बनाया था। इस कानून के तहत भारत का कोई भी नागरिक सरकार के किसी भी विभाग की जानकारी हासिल कर सकता है। सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 7 में प्रावधान किया गया कि जनसूचना अधिकारी, आवेदक के द्वारा मांग की गई सूचना को 30 दिन के भीतर आवेदक को उपलब्ध कराएगा, जो उसके कार्यालय में संधारित किया गया है। कोई जनसूचना अधिकारी जानकारी देने से मना करता है, तो उसको इसका वास्तविक कारण बताना होगा, साथ ही इस संबंध में किसे अपील की जाए इसकी भी जानकारी देगा। सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 20 के तहत अगर कोई जनसूचना अधिकारी निर्धारित समय पर आवेदक को जानकारी नहीं देता है, तो उस पर 250 रुपये प्रति दिवस की दर से जुर्माना लगाया जाएगा। जुर्माने की यह राशि 25 हजार से ज्यादा नहीं होगी। इसके अलावा राज्य सूचना आयोग ऐसे अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की अनुशंसा कर सकते हैं।
शिकायकर्ता शरद देवांगन रायगढ़ ने जनसूचना अधिकारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत करतला जिला कोरबा को 22 जनवरी 2018 को आवेदन देकर एक जून 2012 से 31 दिसंबर 2017 के मध्य ग्राम पंचायतों के लेखा संधारण अभिलेख एवं अन्य पंजियों के संधारित तथा अद्यतन होने का प्रमाणपत्रों छायाप्रति की मांग की। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 7 (1) के तहत आवेदन प्राप्ति के 30 दिवस के भीतर जानकारी आवेदक को देना होता है, किन्तु जनसूचना अधिकारी ने समय सीमा में जानकारी आवेदक को नहीं उपलब्ध कराया। जानकारी प्राप्त न होने के कारण आवेदक ने प्रथम अपीलीय अधिकारी को आवेदन किया किन्तु प्रथम अपीलीय अधिकारी मुख्यकार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत कोरबा द्वारा निर्णय नहीं देने से क्षुब्ध होकर आयेग में द्वितीय अपील प्रस्तुत किया।
राज्य सूचना आयुक्त धनवेन्द्र जायसवाल ने प्रकरण का बारिकी से परीक्षण किया और आवेदक को जानकारी उपलब्ध नहीं कराने के लिए आयोग में जवाब प्रस्तुत नहीं करने पर अवसर प्रदान किया गया किन्तु जनसूचना अधिकारी ने आयोग के आदेशों की अवहेलना कर जवाब प्रस्तुत नहीं किया, जिसके लिए कलेक्टर कोरबा को निर्देशित किया गया कि जनसूचना अधिकारी जनपद पंचायत करतला को आयोग के समक्ष दस्तावेजों के साथ उपस्थित कराएं। तत्कालीन जनसूचना अधिकारी जनपद पंचायत करतला, जिला कोरबा के द्वारा आयेग में जवाब उपलब्ध नहीं कराने के कारण आयुक्त श्री जायसवाल ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20(1) के तहत तत्कालीन जनसूचना अधिकारी को 25 हजार रूपए अर्थदण्ड अधिरोपित करते हुए मुख्यकार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत कोरबा को निर्देश दिए हैं कि अर्थदण्ड की राशि की वसूली संबंधित जनसूचना अधिकारी के वेतन से काटकर शासकीय कोष में जमा कराकर आयोग को पालन प्रतिवेदन प्रेषित करें।
एक अन्य प्रक्ररण में अपीलार्थी जितेन्द्र सिंह ठाकुर ने बाजार पारा लैलूंगा जिला रायगढ़ ने जनसूचना अधिकारी ग्राम पंचायत सकालो जनपद पंचायत अंबिकापुर को 27 दिसंबर 2017 को आवेदन देकर एक अपै्रल 2007 से 31 मई 2017 तक समस्त चेक रजिस्टर, पासबुक, पंचायत प्रस्ताव की सत्यापित छायाप्रति की मांग की। जनसूचना अधिकारी द्वारा समय सीमा में जानकारी प्राप्त न होने के कारण आवेदक ने प्रथम अपीलीय अधिकारी को आवेदन किया किन्तु प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा निर्णय नहीं देने से क्षुब्ध होकर आयोग में 4 जून 2018 को द्वितीय अपील प्रस्तुत किया। आयुक्त श्री जायसवाल ने आवेदन का परीक्षण कर जनसूचना अधिकारी को दस्तावेजों के साथ प्रस्तुत होने निर्देश दिया गया। आयोग के आदेशों की अवहेलना कर जनसूचना अधिकारी ने जवाब प्रस्तुत नहीं किया, जिसके लिए कलेक्टर सरगुजा और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सरगुजा को निर्देशित किया गया कि जनसूचना अधिकारी ग्राम पंचायत सकालो को आयोग के समक्ष दस्तावेजों के साथ उपस्थित कराएं। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की जनसूचना अधिकारी ग्राम पंचायत सकालो द्वारा की गई अवहेलना घोर लापरवाही एवं अज्ञानता का प्रतीक माना गया, इस लापरवाही को राज्य सूचना आयुक्त ने गंभीरता से लेते हुए सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20(1) के तहत तत्कालीन जनसूचना अधिकारी ग्राम पंचायत सकालो को 25 हजार रूपए अर्थदण्ड अधिरोपित करते हुए मुख्यकार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सरगुजा को निर्देश दिए हैं कि अर्थदण्ड की राशि की वसूली संबंधित जनसूचना अधिकारी के वेतन से काटकर शासकीय कोष में जमा कराएं और विभागीय जॉच कराकर अनुशासनात्मक कार्यवाही कर आयोग को पालन प्रतिवेदन प्रेषित करें।
शिकायतकर्ता शरद देवांगन रायगढ़ ने जनसूचना अधिकारी ग्राम पंचायत हरदीडीह जनपद पंचायत जैजैपुर को आयोग के द्वितीय अपील प्रक्ररण क्रमांक ए/614/2018 के पारित आदेश का पालन नहीं करने के कारण 2 जनवरी 2020 को आयेग में शिकायत किया। आयुक्त श्री जायसवाल ने शिकायत का गहन परीक्षण में पाया कि आयोग से आदेश होने के बाद भी जनसूचना अधिकारी ने आवेदक को किसी भी प्राकर की कार्यवाही नहीं किया। राज्य सूचना आयोग से नाटिस जारी होने पर अत्यधिक विलंब से आवेदक को जानकारी प्रदाय किया। आयुक्त ने आयोग में जनसूचना अधिकारी द्वारा कोई जवाब नहीं प्रस्तुत करने और आयोग के आदेश की अवहेलना को लापरवाही की पराकाष्ठा मानते हुए जनसूचना अधिकारी ग्राम पंचायत हरदीडीह जनपद पंचायत जैजैपुर 20(1) के तहत 25 हजार रूपए अर्थदण्ड अधिरोपित करते हुए मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत जैजैपुर को निर्देश दिए कि अर्थदण्ड की राशि की वसूली संबंधित जनसूचना अधिकारी के वेतन से काटकर शासकीय कोष में जमा कराएं और आयोग को सूचित करें