अहंकार रूपी चश्मा अपने आपकोदेखने नहीं देता – जैन संत हर्षित मुनि

अहंकार रूपी चश्मा अपने आपकोदेखने नहीं देता – जैन संत हर्षित मुनि

जिज्ञासा मन में होगी तभी सवाल उठेंगे और समाधान भी निकलेगा

राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) 18 अक्टूबर। जैन संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि आप अपने अहंकार को त्यागें तभी आप अपने आपको देख पाएंगे। यह अहंकार रूपी चश्मा अपने आपको देखने नहीं देता। इसे उतार फेंके। उन्होंने कहा कि आप इसलिए नहीं बदलते क्योंकि आप अपने आपको बदलना नहीं चाहते। इसके लिए छोटे से निर्णय/संकल्प की आवश्यकता है।
समता भवन में आज अपने नियमित प्रवचन में जैन संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि आप छोटे-छोटे संकल्प लेंगे तभी आप कुछ कर पाएंगे। हम शार्टकट रास्ता अपनाना चाहते हैं तो हमें छोटे-छोटे संकल्पों के साथ चलना होगा। अगर जिज्ञासा मन में होगी तभी प्रश्न उठेगा और उसका समाधान भी निकलेगा। हम सोचते बहुत छोटा है। हम धर्म के क्षेत्र में अपने आपको बहुत छोटा आंकते हैं। हमें अपनी इसी सोच को बदलना होगा। यदि हम बड़ा सोचे तो अपने आप को बड़ा कर पाएंगे। हम अपने आप को बड़ा करेंगे तो ही हम बड़े बनेंगे। आत्मा ही परमात्मा है। हम अपने स्वरुप को बढ़ायेंगे तो हम अवश्य अपने लक्ष्य की ओर बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि हम दुनिया को जानने में अपना समय लगा देते हैं जबकि हम अपने बारे में ही नहीं जानते।
जैन संत ने फरमाया कि हर व्यक्ति लेबल लगाकर घूम रहा है और ऐसे तुच्छ लेबल को मेंटेन करने के लिए लगा रहता है। इसी फेर में वह अशांत रहता है। उन्होंने कहा कि हम शांति प्राप्त करने के लिए लगे रहते हैं किंतु हमें शांति नहीं मिल पाती। आप अपनी सोच को बदल नहीं पाते तो दूसरे के मन को क्या बदलेंगे! हम अपने मन को समझाएं कि जीव तू शांति से जी, दूसरों के दिए लेबल को मेंटेन करने में क्यों लगा हुआ है, निश्चित मानिए आपको शांति अवश्य मिलेगी। उन्होंने कहा कि बिना पंख की उड़ान बहुत भारी पड़ जाती है। हम अनंत बार ऐसा कर चुके हैं । हम अपने कर्मों को सुधारें और अहंकार रुपी चश्मे को उतार फेकें। छोटी छोटी बातों को लेकर हम जागरुक रहेंगे तो हमारे कदम नहीं डिगेंगे। इस संसार में हम आए हैं तो हम कुछ ऐसा कर पाएं कि हमारा जीवन धन्य हो जाए। यह जानकारी एक विज्ञप्ति में विमल हाजरा ने दी।

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