(ओम गोलछा की रिपोर्ट)
कुसुमकसा(अमर छत्तीसगढ) कृमिनाशक दवाई भेड़ो को पिलाने के कुछ दिन बाद से प्रतिदिन हो रही भेड़ो की मौत की जांच करने राज्यस्तरीय रोग अन्वेषण प्रयोगशाला रायपुर से छह सदस्यों का दल बुधवार शाम को लगभग 5 बजे भर्रीटोला पहुंचकर श्यामलाल धनकर के घर पर भेड़ो का परीक्षण किया।
साथ ही बीमार दिख रहे छह भेड़ो का रक्त परीक्षण हेतु रक्त निकालकर जांच के लिए ले गए है, व उनका बुखार नापा गया तो 104-105 था उनको दवाइयां दिये। इस दरम्यान श्यामलाल धनकर तीनो भाई समेत घर की महिलाएं व बच्चों ने रायपुर से अधिकारियों के समक्ष गुहार लगाई की साहब हमारी भेड़ो को बचा लो हम सबके आजीविका का मुख्य साधन भेड़ पालन है । साथ ही आजतक मृत 57 भेड़ो का मुआवजा दिलाने की मांग की तक मृत भेड़ो की संख्या 57 पहुंच गयी है ।
पशु चिकित्सालय कुसुमकसा के पशु चिकित्सक स्टाफ के साथ भेड़ो का उपचार कर रहे है । रायपुर से आये चिकित्सको के दल ने भेड़ो को एन्टीबाइरर्स ,एन्टी पाइरेटिक दवाई देने के निर्देश दिए साथ उपसंचालक पशु विभाग बालोद को चिकित्सको का दल बनाकर सुबह–शाम दोनों समय भेड़ो का जांच व उपचार कर प्रतिदिन रिपोर्ट रायपुर भेजने के निर्देश दिए साथ ही पशु पालक को चिन्हाकित बीमार भेड़ो को स्वस्थ भेड़ो से अलग रखने व उनको चराने के लिए बाहर नही ले जाने की सलाह दी ।
बुधवार सुबह मृत एक भेड़ का शव को भेड़ पालक को मिली जानकारी के अनुसार घर पर ही रखा था कि रायपुर की टीम आ रही है तो मृत भेड़ का पोस्टमार्टम करेंगे ,किंतु जांच दल के विलम्ब से आने के कारण पोस्टमार्टम नही हो पाया, पूर्व में पशु विभाग द्वारा किये गए पोस्टमार्टम व रक्त परीक्षण की रिपोर्ट के विलम्ब से आने पर पशु पालकों ने नाराजगी व्यक्त किये की हमारा सब भेड़ खत्म हो जाएगा । जांच रिपोर्ट जल्दी आएगा तभी तो बचे भेड़ो का उचित उपचार हो पायेगा ,जिस पर रायपुर से आये दल के सदस्यों ने बताया कि कुछ जांच यहां एक दिन में हो जाती है किंतु कुछ जांच के लिए बाहर भेजना पड़ता है जिसकी रिपोर्ट विलम्ब से आती है ।
भर्रीटोला के पशुपालक श्यामलाल धनकर अपने भाइयों व बच्चों के साथ भेड़ बकरी, गाय, भैस का पालन कर जीवनयापन करते है । कुछ दिनों पूर्व पशु विभाग के उप संचालक डी के सिहारे भर्रीटोला पहुंचकर गांव के पशु पालकों के भेड़ बकरी की जांच की व श्यामलाल धनकर के भेड़ो को कृमिनाशक दवाई पिलाने हेतु दवाई का बॉटल देते हुए प्रति भेड़ 5 से 6एम एल दवाई पिलाने के निर्देश दिए थे ,पशु पालक प्रति भेड़ 3 से 4 एम एल दवाई पिलाई व दवाई पिलाने कुछ घण्टो बाद भेड़ खांसते रहे व दूसरे दिन सुबह एक भेड़ की मौत हो गयी।
जिसकी जानकारी उपसंचालक पशु विभाग बालोद को दी गयी, उसके बाद से नित्यदिन एक –दो भेड़ो के मौत का सिलसिला चलता रहा जो आज तक भेड़ की मौत हो रही है ,पशु विभाग दो चार भेड़ो के मौत को गम्भीरता से लिए होते तो आज तक 57 भेड़ो की मौत नही हुई होती । हमारा परिवार बाप–दादा जमाने से भेड़ बकरी पालन करते आ रहे है पशु पालकों ने बताया कि कृमिनाशक दवाई पहली बार भेड़ो को पशु विभाग के बड़े डॉक्टर के बताए अनुसार पिलाये है। इसके पहले हमने कभी यह दवाई का उपयोग नही किया था । पशु पालकों ने बताया कि 16 अक्टूबर को भेड़ो को उपसंचालक पशु विभाग के बताए अनुसार दवाइयां पिलायी थी ।
दवाई पिलाने वाले दिन भर भेड़ो की स्थिति मदहोश सी हो गयी थी रात भर भेड़ खांसते रहे व दूसरे दिन से ही भेड़ो के मौत का सिलसिला चालू हुआ जो आज तक बंद नही हुआ है । साहब कृमिनाशक दवाई में जहर होगा तभी दवाई देने के बाद भेड़ो की मौत होने लगी , कृमिनाशक दवाई दवाई पिलाने के पहले हमारे भेड़ स्वस्थ थे ।
इस अवसर पर रोग अन्वेषण प्रयोगशाला रायपुर के छह सदस्यीय दल जिन्होंने अपना नाम नही बताया , डी के सिहारे उपसंचालक पशु बिभाग बालोद ,
डॉ ज्योति साहू ,डॉ बी डी साहू , पशु चिकित्सालय कुसुमकसा के स्टाफ ,भेड़ पालक श्यामलाल धनकर ,शत्रुघ्न धनकर ,नरोत्तम धनकर ,सहित उनका परिवार व ग्रामीणजन उपस्थित थे ।