पहली पटरी के बाद दूसरी व तीसरी रेल लाईन भी बिछी लेकिन कभी इतनी ज्यादा ट्रेनें रद्द नही हुई

पहली पटरी के बाद दूसरी व तीसरी रेल लाईन भी बिछी लेकिन कभी इतनी ज्यादा ट्रेनें रद्द नही हुई

रेल मंत्रालय की मंशा में खोट , निजीकरण का माहौल बना रहे हैं

परिचालन व सफाई व्यवस्था ध्वस्त कर रेल मंत्रालय भारतीय रेल को बदनाम कर रहा

भारतीय रेल देश की लाईफ लाईन है , लेकिन पिछले कुछ माह से रेल्वे को जानबूझकर पटरी से उतारने का प्रयास होता प्रतीत हो रहा है । कोरोना काल में पहली बार भारतीय रेल का संचालन स्थगित करना पड़ा था । कोरोना के बाद देश में अन्य गतिविधियां पुनः संचालित होने लगी हैं । परन्तु ट्रेनों को सही तरीके से नही चलाया जा रहा है और दलील दी जाती है कि चौथी लाईन का काम जारी है , जैन संवेदना ट्रस्ट के महेन्द्र कोचर व विजय चोपड़ा ने कहा कि पहले भी दूसरी व तीसरी लाईन बिछाई गई थी तब कभी इतनी ज्यादा ट्रेनें रद्द नही की जाती थी , उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी व रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखकर शंका जताई है कि यह रेलों के निजीकरण करने का षडयंत्र प्रतीत होता है । इस बात की जांच सर्वदलीय संसदीय समिति से कराई जानी चाहिए कि रेल्वे की निजीकरण के प्रयास का षडयंत्र के चलते ट्रेनें रद्द कराई जा रही है क्या ? महेन्द्र कोचर व विजय चोपड़ा ने प्रधानमंत्री का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि विगत 45 दिनों से ट्रेनों में सफाई कर्मचारियों की ड्यूटी नही लगाना भी क्या इस तरह के षड़यंत्र का हिस्सा है ।

लम्बी दूरी की ट्रेनों में पहले कम से कम 4 सफाई कर्मी साथ चलते थे , और पूरी ट्रेन में सफाई व्यवस्थित रहती थी । लेकिन वर्तमान में लम्बी दूरी की ट्रेनों में 8 – 10 घंटे बाद लेटरिंग में गंदगी हो जाती है कि मुसाफिर पेशाब करने के लिए भटकने लगता है , दरवाजे खोल खोल कर देखते देखते उल्टियां कर अपनी सीट पर आकर बैठ जाता है । रेल मंत्रालय श्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छता अभियान का मजाक उड़ा रहा है । माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अपने कई भाषणों में कहा था कि रेल्वे स्टेशन में चाय बेचने वाले को रेल्वे की समस्याओं की जितनी जानकारी होती है उतनी रेलमंत्री को भी नही होती ।

प्रधानमंत्री से आग्रह है कि वर्तमान रेल्वे की ओर झाँके और समस्याओं को शीघ्र दूर करें । जैन संवेदना ट्रस्ट के महेन्द्र कोचर व विजय चोपड़ा ने रेल मंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि 120 दिनों से लेकर 30 दिनों पूर्व बनाई गई टिकटों की ट्रेनों के अचानक रद्द होने की स्थिति में कैन्सिल टिकट की राशि मय ब्याज के लौटाई जानी चाहिए । जबकि यात्रियों को ट्रेन कैन्सिल होने पर तुरन्त अन्य महँगे साधन से यात्रा करनी पड़ती है सरकार को इसका मुवावजा भी देना चाहिए ।

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