डोंगरगढ़(अमर छत्तीसगढ) 18 जुलाई। संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ससंघ चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में विराजमान है व आज के प्रवचन में आचार्य श्री ने बताया कि लोगो ने सुना होगा या पढ़ा होगा अथवा किसी को डायरेक्ट देखने को मिला हो तो साक्षातकार भी किया होगा । वह वस्तु है अमृत धारा अब इसमें क्या – क्या मिलता है अजवाइन का फूल जो सुख गया है, भीम सेन कपूर और पिपरमेंट इन तीनो के समान अनुपात के मिश्रण से अमृत धारा बनती है । यदि इसके अनुपात में अंतर कर दिया बहुत सारा अजवाइन का फूल, एक छोटी कपूर कि डल्ली और एक चिमटी से उठाकर थोडा सा रख दिया फिर इन सबका मिश्रण कर गट पट करने से भी अमृत धारा नहीं बनेगी । अमृत धारा बनाने के लिये अजवाइन का फूल जो सुख गया है, भीम सेन कपूर और पिपरमेंट इन तीनो के समान अनुपात से साथ में रख बस दो तो वह अपने आप पानी – पानी हो जाता है और अमृत धारा बन जाती है जिसका भिन्न – भिन्न उपयोग करते है । इसी प्रकार समाज में बहुत शास्त्रों के ज्ञानी व्यक्ति भी आज भ्रमित से लगते हैं । किसी का नाम नहीं ले रहे हैं किन्तु जो ऐसा कर रहा है उसके लिये अवश्य है क्योंकि हमारे पास आगम का आधार है ।
इसके लिये सर्वप्रथम आचार्य कुंदकुंद ने सर्वप्रथम मोक्षमार्ग को रखने का पुरुषार्थ किया । पुरुषार्थ इसलिए कहना पड़ता है क्योंकि पंचम काल है लोग सुनते कम और शंका ज्यादा करते है, तर्क ज्यादा करते हैं । जब तक आप इसको सम्पूर्ण रूप से सुनते या पढ़ते नहीं तब तक यह विषय आपके लिये आत्मसात नहीं होगा । अमृत धारा के उदाहरण के अनुसार मोक्षमार्ग में भी समान अनुपात से सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यग्चारित्र का होना अनिवार्य है । गृहस्थ का जो चारित्र होता है वह देश संयम होता है वह पूर्ण संयम नहीं होता है । गृहस्थ चारित्र को लेकर के आत्मानुभूति अथवा समाधी, परम समाधी अथवा एक प्रकार से मोक्षमार्ग को गठित करने का अभ्यास कर रहे हो या बहुमत बना करके करना चाहते हो तो आचार्य कुन्दकुन्द इसे स्वीकार नहीं करते । मूल आपको दिखता नहीं क्योंकि औदायिक भाव रहता है गृहस्थों में जो प्रत्याख्यान के साथ चल रहा है । प्रत्याख्यान कषाय उसे मुनि या श्रमण बनने से उसे रोक रही है और जब तक यह नहीं हटती तब तक वह महाव्रती या मोक्ष्मार्गी नहीं कहा जा सकता है ।
उन्होंने कहा मोक्षमार्ग कहो या श्रामण्य कहो दोनों एकार्थ वाचक है । सम्यग्दर्शन सम्यग्ज्ञान सम्यग्चरित्राणि मोक्षमार्गः । यह एक वचन में है किन्तु एक नइ वस्तु वह मोक्षमार्ग है । गृहस्थ आश्रम में यह तीनो मिल नहीं सकते आंशिक नहीं चाहिये यहाँ समान मात्रा में सम्यग्दर्शन सम्यग्ज्ञान सम्यग्चरित्र होना अनिवार्य है । गृहस्थ का जब तक अनन्तानुबन्धी भाव, अप्रत्याखान, प्रत्याखान का भी उदय न हो तब तक मोक्षमार्ग कहो अथवा श्रामण्य नहीं हो सकता । जो व्यक्ति चतुर्थ गुण स्थान में भी मोक्षमार्ग मान रहा है वह मोक्षमार्ग का अवर्णवाद कर रहा है ।
वह कितने अंधकार में होगा सोचिये जो तारे और चंद्रमा कि रौशनी में पढने का प्रयास कर रहा है जबकि उसे पढने के लिये सूर्य नारायण के दर्शन और आलोक कि आवश्यकता है । एषणा समिति, इर्यापथ समिति और आदाननिक्षेपण समिति के लिये भी दिन चाहिये । किसी को बुरा लगा हो तो भूरा समझकर स्वीकार कर लेना । आज आचार्य श्री विद्यासागर महाराज को नवधा भक्ति पूर्वक आहार कराने का सौभाग्य ब्रह्मचारिणी कविता दीदी परिवार को प्राप्त हुआ । जिसके लिये चंद्रगिरी ट्रस्ट के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन,कार्यकारी अध्यक्ष श्री विनोद बडजात्या, सुभाष चन्द जैन,निर्मल जैन, चंद्रकांत जैन,मनोज जैन, सिंघई निखिल जैन (ट्रस्टी),निशांत जैन (सोनू), प्रतिभास्थली के अध्यक्ष श्री प्रकाश जैन (पप्पू भैया), श्री सप्रेम जैन (संयुक्त मंत्री) ने बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें दी| श्री दिगम्बर जैन चंद्रगिरी अतिशय तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन ने बताया की क्षेत्र में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी की विशेष कृपा एवं आशीर्वाद से अतिशय तीर्थ क्षेत्र चंद्रगिरी मंदिर निर्माण का कार्य तीव्र गति से चल रहा है और यहाँ प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ में कक्षा चौथी से बारहवीं तक CBSE पाठ्यक्रम में विद्यालय संचालित है और इस वर्ष से कक्षा एक से पांचवी तक डे स्कूल भी संचालित हो चुका है | यहाँ गौशाला का भी संचालन किया जा रहा है जिसका शुद्ध और सात्विक दूध और घी भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहता है |यहाँ हथकरघा का संचालन भी वृहद रूप से किया जा रहा है जिससे जरुरत मंद लोगो को रोजगार मिल रहा है और यहाँ बनने वाले वस्त्रों की डिमांड दिन ब दिन बढती जा रही है |यहाँ वस्त्रों को पूर्ण रूप से अहिंसक पद्धति से बनाया जाता है जिसका वैज्ञानिक दृष्टि से उपयोग कर्त्ता को बहुत लाभ होता है|आचर्य श्री के दर्शन के लिए दूर – दूर से उनके भक्त आ रहे है उनके रुकने, भोजन आदि की व्यवस्था की जा रही है | कृपया आने के पूर्व इसकी जानकारी कार्यालय में देवे जिससे सभी भक्तो के लिए सभी प्रकार की व्यवस्था कराइ जा सके |उक्त जानकारी चंद्रगिरी डोंगरगढ़ के ट्रस्टी सिंघई निशांत जैन (निशु) ने दी है |
(विशेष नोट – श्री दिगम्बर जैन चंद्रगिरी अतिशय तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन ने बताया की क्षेत्र में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी की विशेष कृपा एवं आशीर्वाद से चातुर्मास कमेटी एवं ट्रस्ट के तत्वाधान में निःशुल्क आयुर्वेद स्वर्ण प्राशन संस्कार शिविर पुष्य नक्षत्र में दिनांक 18 जुलाई २०२३ दिन मंगलवार प्रातः 8 बजे से शाम 4 बजे तक 1 वर्ष से 14 वर्ष तक के बालक, बालिकाओं को पिलाया गया जिससे उनकी बुद्धि, याददाश्त, रोग प्रतिरोधक क्षमता एवं शारीरिक शक्ति बढ़ने वाला आयुर्वेदिक वैक्शीनेशन व ब्रेन पॉवर टॉनिक है |)