पुलिस सुधार की मांग को लेकर निलंबित आरक्षक संजीव मिश्रा का 12 से मौन प्रदर्शन

पुलिस सुधार की मांग को लेकर निलंबित आरक्षक संजीव मिश्रा का 12 से मौन प्रदर्शन


रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 5 जनवरी । पिछले लगभग 3 वर्ष पुुलिस सुधार की मांग हेतु समय-समय पर आंदोलन करने तथा विभिन्न माध्यमों से सांसद-विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री को अवगत वाले निलंबित आरक्षण संजय मिश्रा ने अब 12 जनवरी से धरना स्थल में संविधान द्वारा गए अधिकारों का उपयोग करते हुए मौन प्रदर्शन 12 जनवरी को करने का आशय पत्र कल कलेक्टर रायपुर के नाम पर अधीक्षक रायपुर को ज्ञापन सौंपा है। निलंबित आरक्षत संजीव मिश्रा के अनुसार गत तीन वर्षों में उन्होंने छत्तीसगढ़ आरक्षक, कर्मचारियों का वेतन ग्रेड पे में वृद्धि करना 1900 से बढ़ाकर 2800 करने के लिए मांग देता रहा है। विगत तीन वर्षों में आरक्षक मिश्रा ने सांसद अरुण साव, विधायक धर्मजीत सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह, पुन्नु लाल मोहले, धरमलाल कौशिक, इत्यादि ने भी तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, गृहमंत्री ताम्रध्यज साहू व विभाग को अपना पत्र लिखकर मांगे पुरी करने की सिपारिस होती रही है।
संजीव मिश्रा में कहा अब भाजपा की सरकार आ गई है। भाजपा नेताओं वर्तमान उप मुख्यमंत्री अरुण साव, विधायक धर्मजीत सिंह, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, पुन्नु लाल मोहले इत्यादि से मांग की है तथा कलेक्टर रायपुर को प्रेषित में भी मांग पुरी करने कहा है उन्होंने कलेक्टर को प्रेषित पत्र को हम यथावति स्थान दे रहे है।
निवेदन है कि मैं आरक्षक संजीव मिश्रा, जिला बल दुर्ग पुलिस लाईन में कार्यरत हूँ। पुलिस सुधार से यह स्पष्ट होता है कि पुलिस विभाग में 1861 से बहुत सी कुप्रथाएँ चली आ रही हैं और बीच-बीच में निवेदन करके अधिकारियों को भी अवगत कराया गया है। तत्संबंध में कई समितियाँ भी बनी लेकिन पुलिस सुधार जिससे जनता को सीधे लाभ होना था उस पर आज पर्यन्त कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी है। भारतीय पुलिस सेवा और राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों का संगठन है परंतु पुलिस के अराजपत्रित (सिपाही से निरीक्षक तक) कर्मचारी/अधिकारी जब अपनी बात रखने जाते हैं या अपनी आवाज उठाते हैं तो या तो उन्हें भ्रमित कर आचरण नियम और अनुशासन के नाम का भय दिखाया जाता है या झूठे एफआईआर (राजद्रोह या पुलिस द्रोह) की धाराओं में फंसाकर जेल भेज दिया जाता है।

  1. पुलिस के 40000 हजार कर्मचारियों के पास रहने को शासकीय आवास नहीं है, जो मिलना चाहिए ?
  2. 24 घंटा ड्यूटी करने वाले पुलिस कर्मचारियों का ग्रेड पे 1900 है जब अन्य विभाग के कर्मचारी जो 08 घंटे ड्यूटी करते हैं उनको 2400 या 2800 रू0 ग्रेड पे दिया जाता है। अत: आरक्षक स्तर के पुलिस कर्मचारियों को भी तत्काल 2800 ग्रेड पे दिया जाय? 3. भाजपा के मंत्रियों एवं विधायकों व अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी माना है की सिपाही रीड़ की हड्डी होते हैं उनका वेतन पर्याप्त नहीं है। विधायक / सांसद रहते, श्री अरूण साव, डॉ0 रमन सिंह, श्री बृजमोहन अग्रवाल, श्री धरमलाल कौशिक, श्री अमर अग्रवाल, श्री धर्मजीत सिंह व अन्य भाजपा नेताओं के द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर आरक्षकों को 2800 ग्रेड पे दिए जाने की मांग की गई थी। चूँकि वर्तमान में भाजपा सत्ता में है अतएव तत्काल आदेश जारी किया जाना चाहिए ? 4. नायब तहसीलदार का ग्रेड पे 4200 है और वो राजपत्रित अधिकारी हैं जबकि पुलिस के निरीक्षक 4300 ग्रेड पे परहोने के बाद भी तृतीय श्रेणी कर्मचारी हैं। यह बहुत बड़ी विडम्बना है।
  3. नक्सल मोर्चा संभालने वाले जवानों (ष्ठस्स्न) को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के समान वेतन दिया जा रहा है तथा अनुकंपा के आधार पर नियुक्त सहायक आरक्षकों को 9 साल बाद आरक्षक बनाया जायेगा ये सर्वथा अनुचित और अन्याय है, जिसे संशोधित किया जाना चाहिए ?
  4. जेल प्रहरियों को न अवकाश मिलता है और न ही पदोन्नति न ही नक्सल भत्ता तथा किट पेटी भी बंद नहीं किया गया है ।
  5. रिस्पॉन्स भत्ता सभी पुलिस कर्मियों का देने का आदेश हुआ है परंतु उसका लाभ केवल थानों में पदस्थ रहने वाले पुलिस कार्मिकों को दिया जा रहा है बाकी अन्य जगह पदस्थ पुलिस कर्मियों को नहीं दिया जा रहा है। जबकि पुलिस लाईन व अन्य जगहों में कार्यरत सभी कर्मचारी लॉ एण्ड आर्डर, व्हीआईपी सुरक्षा, मुल्जिम पेशी व सभी जोखिम भरे ड्यूटी करते हैं, अत: सभी को रिस्पॉन्स भत्ता दिया जाना चाहिए। 8. जिस प्रकार केन्द्रीय अर्धसैनिक बलों को चिकित्सा सुविधा दी जाती है उसी प्रकार पुलिस विभाग में सेवारतकार्मिकों के लिये मेडिकल सुविधा हेतु केशलेश कार्ड जारी करना चाहिए जिससे समय रहते अच्छे अस्पतालों मेंसही ईलाज हो सके। 9. अधिकारियों द्वारा अनुशासन के नाम पर अधीनस्थ कर्मचारियों को अनावश्यक रूप से प्रताडि़त किया जाता है।जिस पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है।
  6. बस्तर रेंज में पदस्थ निरीक्षकों के साथ भी अन्याय हो रहा है उनको बस्तर रेंज में ही 05 वर्ष से अधिक समय पोस्टिंग हो जाने के बाद भी मैदानी क्षेत्र में स्थानांतरण नहीं किया जाता जिससे उन्हे पारिवारिक दायित्व निर्वहन करने में कठिनाईयों का सामना करना पडता है जिससे उन्हें मानसिक प्रताडऩा से गुजरना पड़ता है।ऐसे ही बहुत सी मांगे हैं जिनमें से कुछ मांग बिना बजट के भी स्वीकृत किया जा सकता है परंतु हमारेविभाग के प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता के कारण 80000 पुलिस और उनसे जुड़े परिवार आर्थिक एवंमानसिक प्रताडऩा के शिकार हैं। इसलिए संयुक्त पुलिस परिवार द्वारा दिनांक 12 जनवरी, 2024 से धरना स्थल में संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों का उपयोग करते हुए मौन प्रदर्शन किया जायेगा जब तक हमारी मांगों पर विचार नहीं किया जाता। माननीय श्री विजय शर्मा जी गृहमंत्री से निवेदन है कि केवल एक तरफा अधिकारियों की बात ना सुनी जाए सिपाहियों की पीड़ा सिपाहियों से भी सुनने का कष्ट करें और बीच का रास्ता निकाला जाए जिससे कि पुलिस परिवार को बार-बार आंदोलन न करना पड़े।
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