नक्सल प्रभावित क्षेत्र में तैनात जवान, क्यों कर रहे आत्महत्या…… सहयोगी जवानों की ले रहे जान….. गंभीरता जरूरी

नक्सल प्रभावित क्षेत्र में तैनात जवान, क्यों कर रहे आत्महत्या…… सहयोगी जवानों की ले रहे जान….. गंभीरता जरूरी


राजनांदगांव/रायपुर/बस्तर।(अमर छत्तीसगढ़) प्रदेश के बस्तर के विभिन्न जिलों में तैनात व दिन-रात गश्त कर नक्सल विरोधी चला रहे अभियान बटालियन व जुड़े जवानों के लिए भारत सरकार जहां सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करा रही है। छत्तीसगढ़ सरकार भी विकास की प्राथमिकता के साथ नक्सल मुक्त क्षेत्र व जिला घोषित करने तत्पर है। इसमें कुछ सफलता भी मिली है।  इसके बावजूद पिछले कुछ समय से लगातार घटनाएं सामने आ रही है।

बटालियन में तैनात जवान आखिर आत्महत्या करने अथवा सहयोगी साथियों की हत्या करने में क्यों तुले हैं। क्या किसी अवसाद से ग्रस्त है। अथवा कोई अन्य कारण है। संपूर्ण गंभीर घटनाक्रम में जानना, समझना, छत्तीसगढ़ सरकार एवं केन्द्र सरकार के साथ ही जवानों के विभागों के मुखिया को जानना जरूरी हो रहा है। घटनाएं ज्यादातर बस्तर संभाग के गहन नक्सल प्रभावित जिलों के सीमाओं पर हो रहे हैं। क्षेत्रों में तैनात जवानों के मध्य ऐसी घटनाएं इस वर्ष कुछ अन्य जिलों में भी घटित हुई है। वहीं दूसरी ओर नक्सलवाद से निपटने घटनाक्रमों, वारदात के कम होने के दावे भी हो रहे हैं। 


जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में पिछले लगभग 20 वर्षों से किसी भी प्रकार के बड़े पुलिस मुठभेड़ व गंभीर वारदातों के साथ संभवत: किसी की जान भी नहीं गई है। यह जिला नक्सल समस्या विहिन होने की स्थिति में विभागीय आंकड़ों के अनुसार दिखता है। इस संबंध में लगभग दो वर्ष पूर्व मुख्यमंत्री के एक सलाहकार से भी अमर छत्तीसगढ़ की चर्चा हुई थी। उन्होंने उस समय कहा था कि नक्सल समस्या से मुक्त जिला बालोद होने  की विधिवत घोषणा भारत सरकार ही कर सकती है। 


जहां तक नक्सल पुलिस मुठभेड़ की बात है, लगभग 12 वर्ष पूर्व 12 जुलाई 2009 को राजनादगांव जिलेे मदनवाड़ा कोरकोट्टी थाना अंतर्गत  जवानों पर नक्सलियों के द्वारा कियेे गये हमले से दो पुलिस कर्मी शहीद हो गये। घटना की सूचना पर तत्काल शहीद पुलिस अधीक्षक विनोद चौबे व  हमराह स्टॉफ घटना स्थल पहुंचे, जहां सभी शहीद हो गये। कोरकोट्टी में हुई नक्सली हमले से 25 पुलिसकर्मी शहीद हो गये थे। यह संयोग ही था कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उस समय विपक्ष में रहने के साथ ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी थे। उन्होंने घटना स्थल भी देखा था। गत वर्ष नवंबर 2020 में घटना की न्यायिक जांच हेतु विशेष न्यायिक जांच आयोग जांच कर रहा है। जांच रिपोर्ट आना शेष है। 


बस्तर में आज पी एस मारईगुढ़ा के लिंगापल्ली सीआरपीएफ कैंप में एक जवान द्वारा अपने ही चार साथियों को फायरिंग कर मार डाला। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तत्काल प्रतिक्रिया सामने आयी। जांच के निर्देश दिये। घटना की पुर्नावृत्ती न होने की बात कही। 


वहीं दूसरी ओर संपूर्ण घटना को लेकर शासन के विभागीय स्तर पर दी गई जानकारी के अनुसार  इस घटना में सीटी/जीडी एफ.नं.  1100110058 रीतेश रंजन ने तड़के लगभग 3.15 बजे पीएस मारईगुडा के तहत सी/50 लिंगलपल्ली में कंपनी कर्मियों पर गोलियां चलाईं और इस घटना में 07 कर्मी घायल हो गए तथा उन्हें प्राथमिक उपचार के लिए तुरंत भद्राचलम क्षेत्र अस्पताल ले जाया गया है।
चिकित्सा अधिकारी की घोषणा के अनुसार 04 कर्मियों की मृत्यु की सूचना है।

जिसमें 1)एफ.नं. 110048785 सीटी/जीडी धनजी  2)एफ.नं. 105318732 सीटी/जीडी राजीव मंडल  3)एफ.नं. 110047315 सीटी/जीडी राजमणि कुमार यादव 4)एफ.नं. 110047494 सीटी/जीडी धर्मेंद्र के.आर.।
वहीं इलाज चल रहे 03 कर्मी में  1)एफ.नं. 045200602 डब्ल्यू/सी धनंजय केआर सिंह  2)एफ.नं. 045206772 सीटी/जीडी धर्मात्मा कुमार  3)एफ.नं. 175040149 सीटी/बीयूजी मलय रंजन महाराणा है।
चिकित्सा अधिकारी की घोषणा के अनुसार निम्नलिखित 04 कर्मियों की मृत्यु की सूचना है-
 1)एफ.नं. 110048785 सीटी/जीडी धनजी  2)एफ.नं. 105318732 सीटी/जीडी राजीव मंडल  3)एफ.नं. 110047315 सीटी/जीडी राजमणि कुमार यादव 4)एफ.नं. 110047494 सीटी/जीडी धर्मेंद्र के.आर.।
वहीं इलाज चल रहे 03 कर्मी में  1)एफ.नं. 045200602 डब्ल्यू/सी धनंजय केआर सिंह  2)एफ.नं. 045206772 सीटी/जीडी धर्मात्मा कुमार  3)एफ.नं. 175040149 सीटी/बीयूजी मलय रंजन महाराणा है। 01) मृतक चार जवानों में से तीन बिहार और एक पश्चिम बंगाल से हैं। 02) तीन घायलों में से दो को रायपुर एयरलिफ्ट किया जा रहा है और एक का भद्राचलम में इलाज चल रहा है। 03) आईजी सीआरपीएफ, एडिशनल एसपी कोंटा लिंगनपल्ली कैंप पहुंच चुके हैं। 04) आईजी बस्तर, कलेक्टर सुकमा और एसपी सुकमा भी मौके पर जाएंगे। 05) आरोपी जवान रितेश रंजन को सुबह 04:00 बजे से अपनी संतरी ड्यूटी करनी थी।  ड्यूटी के लिए तैयार होने के बाद उसने बैरक में सो रहे अन्य जवानों पर अंधाधुंध गोलियां चला दीं। सटीक कारण अभी पता नहीं चल पाया है।


निश्चित तौर पर घटनाओं की पुर्नवृत्ती रोकने के लिए जवानों की मानसिकता, भावनाएं अन्य स्थितियां, परिस्थितियोंं को भी विभाग के मुखिया व संबंधित लोगों को जानने की दिशा में पहल की जानी चाहिए। कहीं वे किसी अवसाद के शिकार तो नहीं है ?

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