गुणस्थान उपर उठाने के लिए देव,शास्त्र व गुरू की शरण में रहना होगा….. खुशी हो या गम समभाव में रहे हम, श्रेष्ठ गुणस्थान पाकर जीवन सुधर जाएगा- आचार्य सुंदरसागर महाराज

गुणस्थान उपर उठाने के लिए देव,शास्त्र व गुरू की शरण में रहना होगा….. खुशी हो या गम समभाव में रहे हम, श्रेष्ठ गुणस्थान पाकर जीवन सुधर जाएगा- आचार्य सुंदरसागर महाराज

भीलवाड़ा(अमर छत्तीसगढ) ,29 जुलाई। जीवन में सुख दुःख आगमन के निमित बनते रहते है। हमे इन निमितों से प्रभावित होने से बचना है। हमे मन के अनुकूल मिले तो खुशी व सुख की अनुभूति होती है ओर मन के विपरीत हो जाए तो दुःख ओर गम महसूस होता है। सुख में अति उत्साहित नहीं होना चाहिए तो दुःख में निराश होकर घबराना नहीं होना चाहिए। निमितों से प्रभावित हुए बिना हमेशा समभाव में रहने का प्रयास करना चाहिए। इससे भावों की विशुद्धता नहीं गिरेगी तो हमारा गुणस्थान भी नहीं गिरेगा।

ये विचार शहर के शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड स्थित सुपार्श्वनाथ पार्क में श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के तत्वावधान में चातुर्मासिक(वर्षायोग) प्रवचन के तहत सोमवार को राष्ट्रीय संत दिगम्बर जैन आचार्य पूज्य सुंदरसागर महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि गुणस्थान उपर उठाने के लिए देव,शास्त्र व गुरू की शरण में रहना होगा। इससे आपके चिंतन व विचारों में, भावों के परिभ्रमण में पावनता व विशुद्धि आएगी। बिना भाव पवित्र हुए हम अपने श्रेष्ठ गुणस्थान की प्राप्ति नहीं कर सकते।

हमे धर्म के प्रति आस्थावान रहते हुए मन में हमेशा यह भाव रखने चाहिए कि हम उत्तम कर्म कर अपने गुणस्थान को अधिक उपर उठा सकते है। जिनके जीवन में गुणस्थान उपर उठता जाता है उनका यह भव ओर परभव दोनों सुधर जाते है। इससे पूर्व धर्मसभा में आर्यिका माताजी ने अपने प्रवचन में कहा कि हम दुनिया की नजर में जैन लेकिन जैनत्व के सिद्धांतों की पालना अपने जीवन में नहीं करते है। हमे जन्म से ही नहीं कर्म से भी जैन बनने की जरूरत है।

हम अपने धर्म के प्रति श्रद्धावान ओर आस्थावान रहना होगा ओर पूर्ण निष्ठाओं से धार्मिक क्रियाओं व मर्यादाओं के अनुरूप हमारा आचरण होना चाहिए। हमेशा याद रखना होगा कि देव,शास्त्र व गुरू की शरण में जाने पर ही जीवन में सुखों की प्राप्ति ओर दुःखों से मुक्ति मिलेगी। इनकी शरण में गए बिना हम अपनी गति को नहीं सुधार सकते। सभा के अंत में आर्यिका माताजी को, क्षुल्लक, क्षुल्लिकाओं, त्यागीवृतियों को पुण्यार्जक परिवारों द्वारा वस्त्र भेंट किए गए।

श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के अध्यक्ष राकेश पाटनी ने बताया कि धर्मसभा के प्रारंभ में बाहर से पधारे भक्तगणों द्वारा दीप प्रज्वल करने के बाद पूज्य आचार्य गुरूवर का पाद प्रक्षालन कर उन्हें शास्त्र भेंट किए गए। उनके द्वारा भक्तिपूर्ण माहौल में मंगलाचरण की प्रस्तुति भी दी गई। धर्मसभा का संचालन पदमचंद काला ने किया। प्रातःकाल की नित्य धर्म क्रिया में श्रीमती मनोरमा देवी ठग परिवार द्वार प्रभु पर शांति धारा की गई।

समिति के मीडिया प्रभारी भागचंद पाटनी ने बताया कि वर्षायोग के नियमित कार्यक्रम श्रृंखला के तहत प्रतिदिन सुबह 6.30 बजे भगवान का अभिषेक शांतिधारा, सुबह 8.15 बजे दैनिक प्रवचन, सुबह 10 बजे आहार चर्या, दोपहर 3 बजे शास्त्र स्वाध्याय चर्चा, शाम 6.30 बजे शंका समाधान सत्र के बाद गुरू भक्ति एवं आरती का आयोजन हो रहा है।

राष्ट्रीय संत दिगम्बर जैन आचार्य पूज्य सुंदरसागर महाराज के मुखारबिंद से जिनवाणी श्रवण करने के लिए प्रतिदिन सैकड़ो श्रावक-श्राविकाएं उमड़ रहे है। शहर के विभिन्न क्षेत्रों से प्रवचन लाभ पाने के लिए श्रावक-श्राविकाएं सुपार्श्वनाथ पार्क पहुंच रहे है।

भागचंद पाटनी
मीडिया प्रभारी

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