अहिंसा, संयम, तप, त्याग इसके चार द्वार क्षमा, संतोष, सरलता, नम्रता व धर्म के तीन रत्न सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन, सम्यक चारित्र इन सबको हमें जानना जरुरी- मुनि शीतलराज

अहिंसा, संयम, तप, त्याग इसके चार द्वार क्षमा, संतोष, सरलता, नम्रता व धर्म के तीन रत्न सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन, सम्यक चारित्र इन सबको हमें जानना जरुरी- मुनि शीतलराज


रायपुर (अमर छत्तीसगढ़)। कठोर तप साधक शीतलराज मुनि स्थानक परंपरा के एक प्रभावशाली संत रत्न है जिनका प्रवचन स्थानीय पुजारी पार्क में स्थित मानस भवन में चल रहा है। बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाएं बच्चे लाभ ले रहे है। मुनि राज के मांगलिक लेने भी बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे है।

उन्होंने आज सुबह अपने प्रवचन में कहा पाप, त्याग, पुण्य, कर्म, स्वाध्याय, समता, ज्ञान-अज्ञानी पर मुनि शीतलराज ने कहा प्रधानमंत्री के पद पर बैठे मोदी का पुण्य प्रबल है। प्रधानमंत्री ही क्या जब चाहे पुण्य भाव नहीं है तो भगवान का बेटा भी इसका लाभार्थी नहीं होगा। पुण्य से ही सब प्राप्त होता है।

उन्होंने कहा मोक्ष रुप महोप्रयोजन जिसके जानने से पदार्थों का यथार्थ निर्णय होकर विवेक दृष्टि उत्पन्न हो उसे तत्व कहते है जिसमें नौ प्रकार के तत्व क्रमश: जीव, अजीव, पुण्य, पाप, आश्रव, संवर, निर्जरा, बंध, मोक्ष है।

उन्होंने आज फिर कहा कि सोना एवं लोहे को तपाने के बाद वह किस श्रेणी में आ जाता है दोनों में अंतर है। अशुभ कर्म से लक्ष्मी चली जाती है। वहीं ज्ञानी-अज्ञानी में अंतर होता है सामायिक, प्रतिक्रमण, स्वाध्याय की आज भी विस्तृत जानकारी दी।

उन्होंने कहा धर्म जीवन में उतर जावें अगला भाव भी ठीक रहेगा। आज भी उन्होंने धर्म पर विशद जानकारी देते हुए कहा कि इसके चार लक्षण अहिंसा, संयम, तप, त्याग इसके चार द्वार क्षमा, संतोष, सरलता, नम्रता व धर्म के तीन रत्न सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन, सम्यक चारित्र इन सबको हमें जानना जरुरी है।

आज भी उन्होंने सामायिक स्वाध्याय पर कहा आराधना विधि पूर्वक करें जो जैसा कर्म करेगा वह उस ढंग से होगा। हमें जैन धर्म व जैन तत्व को जीवन में उतारना चाहिए जिसके फायदे ही फायदे है। जो व्यक्ति धर्म पर दृढ़ रहता है वह इस बात से नहीं घबराता है कल मेरा क्या होगा।

ज्ञानी महापुरुष कहते है धर्म करने का मन में आया तो तुरंत कर लो। महापुरुष कहते है दुख कष्टों से घबराए नहीं जैसे पाप करोगे पुण्य घटता जाएगा। धर्म में वाणी कर्म लग जावे अशुभ कर्म होगा ही नहीं। अशुभ कर्म के उदय से लक्ष्मी भी चली जावेगी। खाना खाने को मिले या न मिले धर्म आराधना को नहीं छोडऩा है। उन्होंने समता भाव को लेकर भी उपस्थितजनों को इससे अवगत करावे।


प्रवचन के प्रारंभ में वीर वंदना के साथ उपस्थितजनों ने सामायिक प्रतिक्रमण किया। श्रावक प्रेमचंद भंडारी ने तेले-बेले उपवास, व्यासना, एकासना, डेढ़ पोरसी की जानकारी दी। चातुर्मास समिति के अध्यक्ष सुरेश सींगवी ने कहा कि आज भी रात्रि सवर में चार-पांच श्रावक उपस्थित रहेंगे। रविवार 4 अगस्त को दया दिवस मनाया जावेगा, पिछले रविवार को बड़ीं संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने दया पाला इस रविवार को पक्की है। उपस्थितजनों ने शीतलराज मुनि से मांगलिक प्राप्त किया।

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