काठमाण्डौ नेपाल(अमर छत्तीसगढ) 24 अगस्त।
युगप्रधान महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी के प्रबुद्ध सुशिष्य मुनि श्री रमेश कुमार जी के सान्निध्य में तेरापंथ सभा द्वारा ज्ञानशाला वार्षिक उत्सव एवं ज्ञानशाला दिवस पर तेरापंथ कक्ष स्थित महाश्रमण सभागार में आयोजित हुआ। इस समारोह में मुख्य अतिथि नेपाल ज्ञानशाला के आंचलिक संयोजक सुरेश जी मणोत (वीरगंज) और अध्यक्षता तेरापंथ सभा के अध्यक्ष महावीर जी संचेती ने की।
ज्ञानशाला के भव्य समारोह को संबोधित करते हुए मुनि रमेश कुमार ने कहा- संस्कारों से संस्कृति महान बनती है। हम अपने संस्कारों को सुरक्षित रखते हुए अपनी धर्म संस्कृति की सुरक्षा और संवर्धन की दिशा में आगे बढ सकते हैं। आपने आगे कहा- काठमाण्डौ ज्ञानशाला बहुत व्यवस्थित तरीके से संचालित हो रही है। प्रशिक्षिकायें ज्ञानार्थी और अभिभावक सब मिल के और अच्छी तरह से बच्चों में संस्कार सृजन की दिशा में कार्य करते रहेंगे।
मुनि रत्न कुमार जी ने कहा – ज्ञानशाला जैन श्वेताम्बर तेरापंथ समाज की आन-बान-शान है।
ज्ञानशाला समारोह का शुभारंभ संयोजिका श्रीमती समता भूतोडिया ने “प्यारी प्यारी ज्ञानशाला” गीत के संगान से किया। इस गीत के संगान के साथ ही बच्चे प्रोग्राम में उपस्थित हुये। मंगलाचरण ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं ने सुमधुर गीत से किया। नन्हें नन्हें ज्ञानार्थियों ने अर्हम् अर्हम् की वंदना फले ।
इस ज्ञानशाला गीत पर भावपूर्ण एक्सन करते हुए संगान किया। तेरापंथ सभा के अध्यक्ष महावीर जी संचेती ने समाज की ओर से सभी का स्वागत किया। तेरापंथ सभा सदैव ज्ञानशाला को प्रोत्साहित करती रही है।यह क्रम सदैव चलता रहेगा। प्रशिक्षिकायें निस्वार्थ भाव से अपनी सेवायें देती है।
नेपाल ज्ञानशाला के आंचलिक संयोजक सुरेश जी मणोत ने कहा- काठमाण्डौ ज्ञानशाला का समारोह देखकर मैं बहुत प्रसन्न हूं। यहां की प्रशिक्षिकाओं ने जो परिश्रम किया ,कर रही है वह स्तुत्य है। हम सभी को मिलकर संस्कार निर्माण में अग्रसर होना है।
ज्ञानार्थियों ने नव तत्व की उपयोगिता को समझाने के लिए रोचक तरीके से परिसंवाद और लघु नाटिका के माध्यम से आकर्षक प्रस्तुति दी।
दो ज्ञानार्थियों ने “जैसी संगत वैसी रंगत” एक कथानक के माध्यम से संस्कार के मह्त्व को रोचक तरीके से समझाया।ज्ञानार्थी आराध्या गोलछा ने ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कविता पाठ किया।छोटे छोटे ज्ञानशाला ज्ञानार्थीयों ने “आओ चलें ज्ञानशाला” गीत पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया।
मुख्य प्रशिक्षिका श्रीमती सपना सिंघी ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए कहा- स्थानीय तेरापंथ सभा द्वारा दस वर्षों से ज्ञानशाला सुचारु रुप से चल रही है। वर्तमान में हम 17 प्रशिक्षिकायें है। दो स्थानों पर ज्ञानशाला प्रत्येक शनिवार को संचालित होती है जिसमें लगभग 70 बच्चे भाग लेते हैं। शिशु संस्कार बोध के पांच वर्षों का केन्द्र निर्धारित पाठ्यक्रम से ही बच्चों को सिखाते हैं। गत वर्ष शिशु संस्कार बोध के पांचों ही कक्षाओं में विशेष योग्यता प्राप्त करने वाले बच्चों को और श्रेष्ठ ज्ञानार्थियों को सम्मानित किया गया। समारोह में सहभागी सभी बच्चों को तेरापंथ सभा और श्रीमती जतन देवी-किशनलाल जी दूगङ की ओर से पारितोषित प्रदान किये गये।
ज्ञानशाला प्रशिक्षिका श्रीमती आरती धारेवाल को ऑल इंडिया एवं नेपाल में ज्ञानशाला विज्ञ में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर मुमेन्टो देकर सम्मानित किया गया।
संप्रसारक
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा काठमाण्डौ नेपाल