जीवन की सुन्दरता के लिए मन की गांठे खोलनी जरुरी है – मुनिश्री सुधाकर

जीवन की सुन्दरता के लिए मन की गांठे खोलनी जरुरी है – मुनिश्री सुधाकर

रायपुर(अमर छत्तीसगढ) 24 अगस्त ।, राजधानी रायपुर के टैगोर नगर स्थित पटवा भवन में श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, रायपुर द्वारा आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री सुधाकर जी और मुनिश्री नरेश कुमार जी के सान्निध्य में जय समवसरण में “मन की गांठे खोलो” सूत्र से जीवन को उपहार बनालो कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण के सदस्य नरेश सालेचा शामिल हुए।

मुनिश्री सुधाकर जी ने कहा की जिंदगी को आनंद मय बनाने के लिए “मन की गांठे खोलना” आवश्यक है। व्यवहार जगत में जब हम किसी के साथ मन से, वचन से, काया से व्यवहार करते हैं तो कई बार अनचाहे-चाहे में भी कुछ गांठे लग जाती हैं। वह गांठे हमें दर्द देती है, वेदना देती है, मन को व्यथीत करती हैं, जीवन को बोझल बना देती है। आज का हमारा जो आयोजन है “मन की गांठे खोलें” कुछ यादें होती हैं जो यादें नहीं रहती वह यादें यातनाएं बन जाती हैं। जब उन यादों को याद करते हैं तो मन में हिंसा, प्रतिशोध, इर्ष्या, बदले की भावना का जागरण होता है जो कि हमारे जीवन में दुख का कारण बनता है।

मुनिश्री ने चार सूत्र बताएं उन चार सूत्रों की साधना से मन की गांठ खोली जा सकती हैं। पहला सूत्र स्व नियंत्रण का विकास। सेल्फ कंट्रोलिंग पावर हम दूसरों के हाथों की कठपुतली ना बने अपना रिमोट अपने हाथ में रखें। दूसरा सूत्र- छोड़ो कल की बात कल की बात पुरानी जो बीत गया है आप उसे भूल जाइए। तीसरा सूत्र- मैत्री भाव का विकास। भगवान महावीर ने कहा है कि मैं प्राणी मात्र के साथ में मैत्री का अनुभव कर रहा हूं किसी के साथ भी मेरा किसी प्रकार का वेद विरोध नहीं है इस भावना का जागरण कर हम अपने जीवन को मैत्रीमय बना सकते हैं। चौथा सूत्र- जो हुआ सो अच्छा हुआ।

मुनिश्री ने आगे कहा अगर हम इन चार सूत्रों को जीवन में उतार या अपना लेंगे तो मेरा विश्वास है हम मन की गाठे खोल सकते हैं और अपने जीवन को सुखमय के साथ ही विकासशील भी बना सकते हैं।
आज के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में एनसीएलटी के सदस्य जो कि पूर्व में रेलवे बोर्ड के सदस्य भी रह चुके हैं नरेश सालेचा जो दिल्ली से यहां पधारे है उन्होंने ने भी धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि हमें अपने जीवन में नैतिकता व प्रमाणिकता को महत्व देना चाहिए।

श्रावक को धर्म के प्रति पूर्ण समर्पित निष्ठीत रहना चाहिए। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश गौतम चौरड़िया व श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा भी उपस्थित थे। उन्होंने ने भी अपनी भावनाएं व्यक्त कि। सभा अध्यक्ष गौतम गोलछा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। संचालन सूर्य प्रकाश बैद ने किया।

आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे रेलवे बोर्ड के पूर्व सदस्य नरेश सालेचा ने कहा कि बहुत सुंदर आयोजना है। सभी जो भी आयोजनकर्ता हैं उनको मैं साधुवाद देता हूं। मुनिश्री ने मन की गांठे खोलने पर जो सूत्र बताए है उनको अगर हम जीवन में अपनाते है तो यह सभी के लिए सहायक व लाभकारी होगा। रायपुर के धर्मानुरागीयों के लिए मेरा धन्यवाद। अभी जागरण का समय है जितना हम अपनी आत्मा का कल्याण करेंगे, अपने विचार को सुधारेंगे, भाव को शुद्ध रखेंगे अपने जीवन को सुखमय बना पाएंगे।जैसे सूत्र मुनिश्री ने बताया है वह बहुत अच्छा रहेगा।

Uncategorized