तप तपाता है जीवन को कुंदन बनाता है – मुनि सुधाकर…. तपस्वी खाद्य संयम की साधना करता है – मुनि सुधाकर

तप तपाता है जीवन को कुंदन बनाता है – मुनि सुधाकर…. तपस्वी खाद्य संयम की साधना करता है – मुनि सुधाकर

  रायपुर(अमर छत्तीसगढ) 30 अगस्त श्री लाल गंगा पटवा भवन, टैगोर नगर में गतिमान चातुर्मासिक प्रवास अंतर्गत आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री सुधाकर जी व मुनिश्री नरेश कुमार जी के सान्निध्य में आज दिनांक - 30/08/2024 को पांचवें "मासखमण तपस्या"  का अभिनंदन समारोह आयोजित किया गया। विशेष यह है कि रायपुर जैन तेरापंथ समाज में मुनिश्री की विशेष प्रेरणा से प्रथम बार पांच मासखमण तपस्या अर्थात एक माह तक किसी भी प्रकार के अन्न का त्याग रूपी तपस्या सुखसाता पूर्वक परिसंपन्न हुई। 

आज तेरापंथ धर्म संघ के आचार्य श्री जयाचार्य जी के 144 वें निर्वाण दिवस अवसर पर मुनिश्री सुधाकर जी ने कहा कि धरती पर महापुरुषों का अवतरण कभी कभी होता है। ऐसी ही विशेष प्रतिभा के धनी थे जयाचार्य जी। संभवतः साधना के बल पर उन्हें देवीय शक्ति प्राप्त थी जिसका चमत्कार यदा-कदा देखने को मिलता है। उनका तेरापंथ धर्म संघ पर विशेष उपकार है।

मुनिश्री ने आगे कहा कि वह पुरुष नहीं महापुरुष थे, मानव नहीं महामानव थे अर्थात देव तुल्य थे क्योंकि कि जिनका दर्शन करने तत्कालीन जयपुर नरेश वेश बदल कर अर्धरात्रि में आते थे।
मुनिश्री ने उनके सम्मुख अपनी 36 की तपस्या का प्रत्याखान लेकर उपस्थित तपस्वी श्री कमल जी ललवानी की तपस्या की अनुमोदना करते हुए खुब खुब प्रशंसा की व उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं को प्रेरणा लेने आवाह्न किया।
मुनिश्री नरेश कुमार जी ने सुमधुर गीतिका का संगान किया।


तेरापंथ धर्म संघ की सभी संघीय संस्थाओं के साथ उपस्थित परिजनों ने भी तपस्वी के तप की अनुमोदना की। संचालन मनीष नाहर ने किया। अन्य तपस्या के तपस्वी श्रीमती ममता चोपड़ा – 58, श्रीमती मुक्ता छाजेड़ – 6, श्री माणक चोपड़ा व श्रीमती निर्मला भंडारी अपने सिध्दी तप के प्रत्याखान के साथ उपस्थित रहे।

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