(जैन भवन अम्बाजी) सनिष्काम भाव से सेवा करने पर जीवन में सेवाव्रत होता सार्थक-हरीशमुनिजी मसा… असहाय व निर्धन की सहायता ही मानवता की सच्ची सेवा – नानेश मुनिजी मसा

(जैन भवन अम्बाजी) सनिष्काम भाव से सेवा करने पर जीवन में सेवाव्रत होता सार्थक-हरीशमुनिजी मसा… असहाय व निर्धन की सहायता ही मानवता की सच्ची सेवा – नानेश मुनिजी मसा

अम्बाजी(अमर छत्तीसगढ), 5 सितम्बर। निस्वार्थ सेवा आत्मकल्याण के पथ पर बढ़ाती है। परमात्मा प्रभु महावीर ने हमेशा निस्वार्थ भाव से सेवा करने की प्रेरणा अपनी वाणी से प्रदान की है। जिनशासन में कई सेवा को समर्पित श्रावक-श्राविकाएं है जो बिना किसी चाह के निरन्तर धर्म के लिए सेवारत है। हमने दुर्लभ मानव तन तो पा लिया पर जीवन में किसी असहाय व जरूरतमंद की सेवा नहीं की तो यह जीवन व्यर्थ ही चला जाएगा।

ये विचार पूज्य दादा गुरूदेव मरूधर केसरी मिश्रीमलजी म.सा., लोकमान्य संत, शेरे राजस्थान, वरिष्ठ प्रवर्तक पूज्य गुरूदेव श्रीरूपचंदजी म.सा. के शिष्य, मरूधरा भूषण, शासन गौरव, प्रवर्तक पूज्य गुरूदेव श्री सुकन मुनिजी म.सा. के आज्ञानुवर्ती युवा तपस्वी श्री मुकेश मुनिजी म.सा. ने श्री अरिहन्त जैन श्रावक संघ अम्बाजी के तत्वावधान में आठ दिवसीय पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के चौथे दिन गुरूवार को अंबिका जैन भवन में सेवा व्रत दिवस पर आयोजित प्रवचन में व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि सेवा इंसान की ही नहीं बल्कि मूक पशुओं की भी करनी चाहिए। सेवा करके यदि हमे उसे गिनाने लगे तो वह फलदायी नहीं होती। वास्तविक सेवा तो वह होती है जिसमें कई बार जिसकी मदद की जा रही उसेे भी पता नहीं होता है कि उसका मददगार कौन है।

धर्मसभा में सेवा रत्न हरीशमुनिजी म.सा. ने कहा कि जीवन में सेवाव्रत तभी सार्थक हो सकता है जब हम तनिक भी मान-सम्मान पाने की चाह रखे बिना निष्काम भाव से सेवा करते है। कर्ता व अहम भाव से मुक्त होकर की गई सेवा ही सार्थक व फलदायी होती है। सेवा सीखनी है तो वृक्ष, अग्नि, सूर्य, नदी आदि से सीखनी चाहिए जो देने के बाद कभी कुछ फल की प्र्राप्ति नहीं करते ओर निस्वार्थ भाव से सेवा करते रहते है।धर्मसभा में युवा रत्न श्री नानेश मुनिजी म.सा. ने कहा कि सेवा हमारे जीवन का मुख्य आधार है।

वास्तविक सेवा वही होती है जिसमें किसी फल की कामना नहीं होती है। आजकल सेवा के नाम पर जो दिखावा होता है वह सार्थक ओर फलदायी नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि असहाय व निर्धन की सेवा करना मानवता की सेवा करना होता है। हमेशा हमारे मन में सेवा की भावना अवश्य रहनी चाहिए। जैन धर्म हमेशा सेवा की प्रेरणा प्रदान करता है।

धर्मसभा में मधुर व्याख्यानी श्री हितेश मुनिजी म.सा. ने कहा कि सेवाव्रत लेना ओर उसकी पालना करने को शास्त्रों में परमधर्म बताया गया है। सेवा कहने या बताने का नहीं बल्कि मन से करने का विषय है। जो कार्य दिखा-दिखा के किया जाए वह सेवा नहीं हो सकता। सेवा निस्वार्थ भाव से होती है जिसमें व्यक्ति पुनः किसी तरह की कामना नहीं करता है। उन्होंने अंतगड़ दशांग सूत्र के मूल पाठ का वाचन एवं विवेचन भी किया।

धर्मसभा में प्रार्थनार्थी सचिनमुनिजी म.सा. ने कहा कि सेवा बहुत महत्वपूर्ण शब्द है ओर उससे भी बढ़कर महत्व सेवाभावना रखती है। सच्ची सेवाभावना जिसके ह्दय में बस जाती है वह सेवाभावी बनने के साथ जगत का भी प्रिय हो जाता है। सेवा का वर्णन तब तक पूरा नहीं हो सकता जब तक दान की चर्चा न हो। उन्होंने कहा कि सेवा भी एक प्रकार का दान है। तन व मन से किया जाने वाला सहयोग ही सेवा होता है। संकट के समय सहयोग व सेवा करने वाले को हमेशा याद रखना चाहिए।

पर्युषण में तप आराधना व धर्म साधना का दौर जारी

पर्युषण पर्व में तप आराधना व धर्म साधना का दौर जारी है। पर्युषण के चौथे दिन सुश्राविका अनिता धर्मेश माण्डावत ने 26 उपवास एवं सुश्राविका दिलखुश राजेन्द्र सियाल ने 11 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। कई श्रावक-श्राविकाओं ने तेला, बेला, उपवास, आयम्बिल व एकासन के प्रत्याख्यान लिए। अतिथियों का स्वागत श्रीसंघ के द्वारा किया गया। धर्मसभा का संचालन गौतमकुमार बाफना ने किया। दोपहर में प्रार्थनार्थी सचिनमुनिजी म.सा. ने कल्पसूत्र का वांचन किया। मधुर व्याख्यानी हितेशमुनिजी म.सा. के मार्गनिर्देशन में जैन हाउजी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। शाम को प्रतिक्रमण का आयोजन किया गया। पर्युषण में प्रतिदिन सुबह 6 से शाम 6 बजे तक 12 घंटे नवकार महामंत्र जाप का आयोजन भी जारी है। पर्युषण पर्व के छठे दिन 6 सितम्बर को ब्रह्मचर्य दिवस मनाया जाएगा। दोपहर में सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन होगा।

पूर्व मंत्री डूडी ने लिया संत दर्शन का लाभ

राजस्थान सरकार के पूर्व मंत्री एवं पूर्व राज्यसभा सांसद श्री रामनारायण डूडी ने पूज्य मुकेशमुनिजी म.सा., हरीशमुनिजी म.सा. आदि ठाणा के दर्शन-वंदन कर सेवा का लाभ लिया। इस दौरान उन्होंने धर्म चर्चा करते हुए कहा कि जैन समाज अपने सिद्धांतों व आर्दशों के कारण दुनिया में विशेष पहचान रखता है। मुनिश्री ने उनको आशीर्वाद देते हुए मंगलभावनाएं व्यक्त की। डूडी का श्रीसंघ के पदाधिकारियों ने स्वागत करते हुए चातुर्मास में चल रही विभिन्न धार्मिक गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।

प्रस्तुतिः निलेश कांठेड़
अरिहन्त मीडिया एंड कम्युनिकेशन, भीलवाड़ा, मो.9829537627

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