(सूरत) समय के साथ बदले पर सभ्यता व मर्यादा को कभी नहीं भूले- दर्शनप्रभाजी मसा… आधुनिक बनने की होड़ में आध्यात्मिक दृष्टि से पिछड़ते जा रहे- समीक्षाप्रभाजी म.सा.

(सूरत) समय के साथ बदले पर सभ्यता व मर्यादा को कभी नहीं भूले- दर्शनप्रभाजी मसा… आधुनिक बनने की होड़ में आध्यात्मिक दृष्टि से पिछड़ते जा रहे- समीक्षाप्रभाजी म.सा.

सूरत(अमर छत्तीसगढ), 5 सितम्बर। तपस्या करना सहज नहीं है, तप करने के लिए तन को तपाना पड़ता है। जो तन को तपाते है वहीं तपस्वी बन पाते है। जो तपस्या नहीं कर सकते वह भी तपस्वियों की अनुमोदना कर पुण्य प्राप्त कर सकते है।

ये विचार मरूधरा मणि महासाध्वी जैनमतिजी म.सा. की सुशिष्या सरलमना जिनशासन प्रभाविका वात्सल्यमूर्ति इन्दुप्रभाजी म.सा. ने श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ गोड़ादरा के तत्वावधान में महावीर भवन में पर्वाधिराज पर्युषण पर्व की आठ दिवसीय आराधना के पांचवे दिन गुरूवार को आधुनिक नहीं आध्यात्मिक बने विषय पर प्रवचन में व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि पूज्य प्रवर्तक पन्नालालजी म.सा. की जयंति शुक्रवार को तप त्याग व दया व्रत के साथ मनानी है। इस अवसर पर अधिकाधिक दया तप की भेंट गुरू चरणों में समर्पित करने की भावना रखे।

मधुर व्याख्यानी प्रबुद्ध चिन्तिका दर्शनप्रभाजी म.सा. ने कहा कि जीवन में अब सोने का नहीं जागने का समय आया है। समय के साथ बदलाव जरूरी है लेकिन अपनी सभ्यता व मर्यादा को कभी नहीं भूलना चाहिए। हमे सोचना होगा कि हम मर्यादाओं की कितनी पालना कर पा रहे है। अच्छा दिखना आसान है लेकिन अच्छा बनना कठिन है। जो अच्छा दिखना चाहता है वह आधुनिक ओर जो अच्छा बनना चाहता है वह आध्यात्मिक होता है।

उन्होंने कहा कि बाहर देखने वाला आधुनिक ओर भीतर देखने वाला आध्यात्मिक होता है। आधुनिक जीवन जीने वाला तनाव व अशांति से घिरा रहता है जबकि आध्यात्मिक जीवन जीने वाला तनावरहित सुखी जीवन जीता है। साधु-साध्वी आपको आध्यात्मिक जीवन की राह दिखा सकते है लेकिन चलना तो आपको पड़ेगा। हम अच्छा दिखने की नहीं अच्छा बनने की जरूरत है।

धर्मसभा में तत्वचिंतिका आगमरसिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा. ने कहा कि नींद से शरीर को ओर ध्यान से आत्मा को आराम मिलता है। हम आधुनिक बनने की होड़ में तो बहुत आगे निकल गए लेकिन आध्यात्मिक दृष्टि से पिछड़ते जा रहे है। आध्यात्मिक दृष्टि से जो धनवान बन जाएगा वह किसी भी जन्म में दुःख नहीं पाएगा। तृप्ति व संतोष आधुनिकता में नहीं आध्यात्मिकता में ही मिलेगा। बिना संतोष पाए व्यक्ति सुखी नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा कि आधुनिकता के नाम पर फैशन में इतना भी नहीं डूबे कि अपना धर्म व संस्कृति ही भूल जाए। बच्चों को केवल मांगना व लेना ही नहीं देना व छोड़ना भी सिखाए इसके लिए उन्हें अपनी संस्कृति व संस्कारों से जोड़ना होगा। पहले तीन चीजे पर्दे में रहती थी भोजन,भजन ओर नारी लेकिन आज के जमाने में सब दिखावे की होड लगी है। गृहिणी जीवन नारीे की सबसे बड़ी पहचान है।

घर की प्रतिष्ठा ओर इज्जत नारी के हाथ में होती है। शुरू में पूज्य आगममर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्री म.सा. ने अंतगड़ दशांग सूत्र के मूल पाठ का वाचन एवं विवेचन किया। सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा. एवं विद्याभिलाषी हिरलप्रभाजी म.सा. ने भजन ‘‘संस्कारों का दीप बुझा गई रे देखो पश्चिम की आंधी’’ की प्रस्तुति दी। दोपहर में कल्पसूत्र वांचन पूज्य हिरलप्रभाजी म.सा. के मुखारबिंद से हुआ।

पर्युषण में आठ दिवसीय अखण्ड नवकार महामंत्र जाप भी जारी है। पर्युषण में प्रतिदिन सुबह 8.30 बजे से अंतगड़ सूत्र का वांचन, सुबह 9.30 बजे से प्रवचन एवं दोपहर 2 से 3 बजे तक कल्पसूत्र का वांचन हो रहा है। प्रतिदिन दोपहर 3 बजे से विभिन्न प्रतियोगिताएं एवं सूर्यास्त से प्रतिक्रमण हो रहा है। पर्युषण के छठे दिन शुक्रवार को नशा नाश का कारण विषय पर प्रवचन एवं दोपहर में जैन हाउजी प्रतियोगिता का आयोजन होगा।

पर्युषण में लग रहा तप त्याग का ठाठ
पर्युषण में जप,तप व भक्ति का माहौल बन चुका है। पर्युषण के साथ ही कई श्रावक-श्राविकाएं तपस्या के पथ पर गतिमान है। सुश्राविका भारती कावड़िया ने अनुमोदना के जयकारो की गूंज के बीच पूज्य इन्दुप्रभाजी म.सा. के मुखारबिंद से आठ उपवास के प्रत्याख्यान लिए। तेला,बेला, उपवास,आयम्बिल, एकासन, दया व्रत आदि तप के भी प्रत्याख्यान लिए गए। साध्वी मण्डल ने सभी तपस्वियों के प्रति मंगलभावना व्यक्त की। बाहर से पधारे सभी अतिथियों का स्वागत श्रीसंघ एवं स्वागताध्यक्ष शांतिलालजी नाहर परिवार द्वारा किया गया। संचालन श्रीसंघ के उपाध्यक्ष राकेश गन्ना ने किया।

धर्मसभा में 11 लक्की टॉकन के लाभार्थी किशोरकुमारजी राहुलकुमारजी बोहरा परिवार अजीतगढ़ वाले रहे। सिल्वर कॉइन के लाभार्थी नवयुवक मण्डल अध्यक्ष मुकेशकुमार नाहर पाटनवाले रहे। आज की प्रभावना के लाभार्थी अमोलकजी, महेन्द्र कुमार, पवन, पंकज झामड़ परिवार मेड़तासिटी वाले रहे।

प्रस्तुतिः निलेश कांठेड़
अरिहन्त मीडिया एंड कम्युनिकेशन,भीलवाड़ा

Chhattisgarh