रायपुर(अमर छत्तीसगढ) 21 सितंबर। श्री लाल गंगा पटवा भवन टैगोर नगर में गतिमान चातुर्मासिक प्रवास अंतर्गत आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री सुधाकर जी व मुनिश्री नरेश कुमार जी के सान्निध्य में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, रायपुर द्वारा आज दिनांक – 21/09/2024 को “विश्व कृतज्ञता दिवस” उपलक्ष्य में विशेष आयोजन किया गया जिसमें मुनि वृंद ने कृतज्ञता/आभार/धन्यवाद को विभिन्न उदाहरणों से उनकी उपयोगिता से हम अपने जीवन को नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर ले जाते हुए स्वस्थ्य जीवन जीने के साथ अपने आपको महान कैसे बना सकते हैं बताया।
उपरोक्त आयोजन में मुनिश्री सुधाकर जी ने कहा कि विश्व में सभी प्रकार से कृतज्ञता का अपना महत्व है परन्तु जैन धर्म में तो इस शब्द का विशेष महत्व है। भगवान महावीर ने प्राणीमात्र के साथ इस जगत के सभी तत्वों के प्रति कृतज्ञता अर्थात अप्रमाद संयम की भावना व्यक्त कि। साथ ही भगवान ने श्रावक-श्राविकाओं से आवाह्न किया कि वे अपने आप को कभी भी दीन-हिन नहीं समझे बल्कि जो मिला है उसमें आनंद पाने का प्रयास करें क्योंकि कि देने वाले ईश्वर ने आपको सबकुछ न दे कर कुछ तो विशेष दिया है अर्थात् आप कल्पना कीजिए जिनके पास बहुत कुछ नहीं है। मुनिश्री ने आगे कहा कि हमें दूसरों के पास क्या है इसे देखते हुए दुखी होने के बजाय यह देखना चाहिए कि हमारे पास क्या है और ईश्वर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करनी चाहिए।
मुनिश्री ने तीन बातों में कृतज्ञता के प्रयोग से हम अपने जीवन का स्वकल्याण कर सकते हैं बताया – प्रथम ‘स्वयं के प्रति कृतज्ञता’ – मैंने अपनी क्षमता अनुसार बेहतर किया बजाएं इस प्रतिक्षा में की दूसरे मेरी प्रशंसा करें। दूसरा ‘अपने पन का एहसास’ – दूसरों के प्रति हमेशा शिकायत करने की भावना के बजाय उनके किये कार्य पर कृतज्ञता धन्यवाद ज्ञापित करते हुए अपने पन का भाव जागृत करें। तीसरा ‘ईश्वर के प्रति कृतज्ञता’ – हमेशा देने वाले ईश्वर के प्रति कृतज्ञता के भाव रखें बजाएं शिकायत के।
मुनिश्री ने कहा कि पिछे का जिक्र और भविष्य की फ़िक्र हमें हमेशा परेशान करती है हम वर्तमान में जीना सीखें। मुनिश्री ने विशेष प्रयोग करवाते हुए बताया कि इन प्रयोगों से हम अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं।
प्रयोग है – सकारात्मक सोचूंगा, सकारात्मक बोलूंगा, सकारात्मक लिखूंगा, सकारात्मक करुंगा और सकारात्मक रहूंगा।
उपरोक्त प्रयोग यदि हम करते हैं तो निश्चित ही हमारे जीवन में बदलाव देखने को मिलेगा जैसे स्वास्थ्य में सुधार, नींद अच्छी आयेगी, रिश्ते सुधरने लगेंगे, कार्यक्षमता का विकास होगा, मन हमेशा प्रसन्न रहेगा आदि।
मुनिश्री नरेश कुमार जी ने सुमधुर गीतिका के संगान के साथ कुछ उदाहरण प्रस्तुत करते हुए इस विषय पर उपस्थित जनमेदनी को मार्गदर्शीत किया।