रायपुर (अमर छत्तीसगढ) 2 दिसम्बर। आध्यात्म योगी, चर्या शिरोमणी, वितरागी श्रमण संस्कृति के आध्यात्मिक सद्गुरु 108 आगम सागर जी महाराज का ससंघ राजधानी रायपुर में मंगल प्रवेश से समाज में उल्लास।
डोंगरगढ़ में विशाल समाधि स्थल के निर्माण के साथ रायपुर बड़ा मंदिर में लघु तीर्थ निर्माण भी जल्द होगा
आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनि राज़ के परम प्रभावक शिष्य आध्यात्म योगी, चर्या शिरोमणी, वितरागी श्रमण संस्कृति के आध्यात्मिक सद्गुरु श्री 108 आगम सागर जी महामुनि राज, श्री 108 पुनीत सागर जी महामुनिराज एवं ऐलक श्री 105 धैर्य सागर जी महामुनिराज का भव्य मंगल प्रवेश डोंगरगढ़ से राजनांदगांव, दुर्ग, भिलाई,चरोदा, कुम्हारी से राजधानी रायपुर में हुआ। महाराज श्री के यहां मंगल प्रवेश से सकल जैन समाज में उल्लास छा गया।
श्री आदिनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर (लघु तीर्थ ) मालवीय रोड के पूर्व अध्यक्ष संजय जैन नायक,पूर्व सचिव राजेश रज्जन जैन एवं पूर्व उपाध्यक्ष श्रेयश जैन बालू ने संयुक्त रूप से बताया की 108 आगम सागर महाराज का ससंघ भव्य चतुर्मास इस वर्ष छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव शहर में हुआ था।
चातुर्मास समाप्ति के पश्चात 108 आगम सागर महाराज जी का विहार डोंगरगढ़ स्थित तीर्थ चंद्रगिरी की ओर हुआ जहा विश्व वंदनीय महान संत आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की समाधि के दर्शन कर सीधे रायपुर राजधानी की ओर विहार कर अपना मंगल आशीर्वाद एवं सानिध्य रायपुर वासियों को दे रहे है।
आज प्रातः सुबह 8 बजे कुम्हारी स्थित कुम्हारी फार्म हाउस पहुंचने के पूर्व विहार कर रहे जैन समाज के साधु एवं माता जी का मंगल मिलन भी हुआ जाना सभी ने रुक कर आगम सागर महाराज जी का आशीर्वाद लिया। कुम्हारी स्थित फार्म हाउस पहुंच कर उपस्थित सभी ने सामूहिक आचार्य श्री पूजन किया। तत्पश्चात महाराज जी की आहारचर्या संपन्न हुई।
दोपहर 1 बजे महाराज जी विहार कर शाम 5 बजे मालवीय रोड स्थित दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर (लघु तीर्थ) पहुचे वहा संध्या कालीन प्रवचन में 108 आगम सागर महाराज ने बताया कि आचार्य श्री अपने जीवन को लोहे कि तरह जिया। जीवन भर किसी भी सहारे में नहीं रहे। अपने अन्तिम समय में भी वो अपने सभी नियमों का पालन करते रहे। उनकी कृपा से छतीसगढ़ के डोंगरगढ़ में चंद्र गिरी का विशाल तीर्थ बन रहा है।यहां तीर्थ थे नहीं ।आज भारत के साथ साथ विदेशों ने भी छत्तीसगढ़ की विशेष पहचान बन गई है।
आचार्य श्री इस धरती के ऐसे संत थे जो ख्याति पूजा लाभ से हमेशा दूर रहे। उन्होंने कभी किसी भी धर्म उनके गुरु किसी व्यक्ति को कभी कुछ नहीं कहा। वो स्वयं कम बोलते थे हमेशा उनके काम बोलता था। आज जिस स्थान पर उनकी समाधि है वह छत्तीसगढ़ मै रायपुर के निकट है ये रायपुर वासियों के लिए सौभाग्य की बात है।
उनके प्रथम समाधि दिवस के उपलक्ष्य पर 1008 श्री सिद्ध चक्र महा मंडल विधान का आयोजन किया जा रहा है जिस पर ज्यादा से ज्यादा संख्या में धर्म प्रेमी बन्धुओ को भाग लेना चाहिए। साथ ही आचार्य श्री ने राजधानी रायपुर के श्री आदिनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर को लघु तीर्थ बनाने का को मंगल आशीर्वाद दिया है उसे भी जल्द से जल्द पूरा किया जायेगा। इस अवसर पर समस्त दिगम्बर जैन समाज के समाज जन, महिला मंडल बड़ी संख्या में उपस्थित थी।