बिलासपुर/ रायगढ़(अमर छत्तीसगढ) 5 जनवरी । श्रमशक्ति भवन सन्निर्माण एवं असंगठित कर्मकार श्रमिक संघ ने बिलासपुर संभाग में संगठनात्मक ढांचे को और मजबूत बनाने के उद्देश्य से नए पदाधिकारियों की नियुक्ति की है।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष पिंगल बघेल के निर्देशानुसार, अमरदीप चौहान को बिलासपुर संभाग का अध्यक्ष और उमेश कुमार श्रीवास को महासचिव नियुक्त किया गया है। इस महत्वपूर्ण निर्णय के माध्यम से संगठन ने श्रमिकों के हितों की रक्षा और नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है।
नव नियुक्त पदाधिकारी श्रमिक समुदाय के अधिकारों और संगठन के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। संगठन का उद्देश्य और कार्य श्रमशक्ति भवन सन्निर्माण एवं असंगठित कर्मकार श्रमिक संघ छत्तीसगढ़ एक पंजीकृत यूनियन है, जो ट्रेड यूनियन/व्यावसायिक संघ अधिनियम 1926 के तहत राज्य के विभिन्न उद्योगों और संस्थानों में कार्यरत श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए कार्यरत है।
प्रदेश अध्यक्ष पिंगल बघेल ने नव नियुक्त पदाधिकारियों को शुभकामनाएं देते हुए श्रमिक हित में निरंतर काम करने की अपेक्षा जताई है। प्रदेश महामंत्री श्रीमती पार्वती साहू एवं कार्यालय मंत्री श्री नेतराम साहू ने भी दोनों पदाधिकारियों को बधाई दी और संगठन के उद्देश्यों को मजबूती से आगे बढ़ाने की अपील की।
नव नियुक्त बिलासपुर संभाग अध्यक्ष श्री चौहान ने अपनी नई जिम्मेदारी को स्वीकार करते हुए संगठन के उद्देश्यों और श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि श्रमिक संघ का मुख्य उद्देश्य श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करना और उनके हितों को बढ़ावा देना है। श्री चौहान ने संगठन के विस्तार और मजबूती की दिशा में कार्य करने की अपनी योजना साझा की। उनका मानना है कि संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करना आवश्यक है ताकि राज्य के दूरदराज के इलाकों में भी श्रमिकों को उनके अधिकारों और शासन की योजनाओं का लाभ मिल सके।
नव नियुक्त संभागीय महासचिव उमेश कुमार श्रीवास ने छत्तीसगढ़ के औद्योगिक और कृषि प्रधान स्वरूप को रेखांकित करते हुए श्रमिकों के महत्व और उनके सामने मौजूद चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि निर्माण, खनन, कृषि और अन्य असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत श्रमिक राज्य की आर्थिक प्रगति के स्तंभ हैं। इन श्रमिकों का परिश्रम ही राज्य के विकास का आधार है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दुर्भाग्यवश, श्रमिक समुदाय आज भी शोषण, न्यूनतम वेतन की अनुपलब्धता और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से वंचित रहने जैसी समस्याओं का सामना कर रहा है। ये चुनौतियां न केवल श्रमिकों के जीवन स्तर को प्रभावित करती हैं बल्कि राज्य की समग्र प्रगति में भी बाधा बनती हैं।
श्री श्रीवास ने कहा कि इन समस्याओं का समाधान करने और श्रमिकों को उनके अधिकार दिलाने में श्रमिक संघ अहम भूमिका निभा सकता है। महासचिव ने कहा कि श्रमिक संघ छत्तीसगढ़ में श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक सशक्त माध्यम है। संगठन के माध्यम से श्रमिकों को कानूनी सहायता, शोषण से बचाव, और शासन की योजनाओं जैसे स्वास्थ्य बीमा, पेंशन और कौशल विकास कार्यक्रमों का लाभ दिलाने की दिशा में ठोस प्रयास किए जा सकते हैं।
उन्होंने जागरूकता और शासन के साथ समन्वय को श्रमिक कल्याण के लिए महत्वपूर्ण बताया। श्रमिकों को उनके अधिकारों और उपलब्ध योजनाओं के प्रति जागरूक करना और इन योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू करना, संगठन की प्राथमिकता होनी चाहिए।