बासी का मजा ताजा तरीन लोगों ने लिया, संभागयुक्त आईएएस, आईपीएस, कुलपति, कलाकार, मजदूर भी पिछे नहीं दिखे

बासी का मजा ताजा तरीन लोगों ने लिया, संभागयुक्त आईएएस, आईपीएस, कुलपति, कलाकार, मजदूर भी पिछे नहीं दिखे


राजनांदगांव/दुर्ग/रायपुर। (अमर छत्तीसगढ़) वैसे तो बासी खाने की परंपरा सदियों से रही है। समय के साथ इसके खाने के अंदाज बदले हैं, फिर भी कई साधन संपन्न के लोगों के यहां भी बासी खाने की परपंरा है। मुख्यमंत्री भुपेश बघेल अपने साढ़े तीन वर्ष के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ के संस्कार संस्कृति खान पान रहन, सहन, तीज, त्यौहार, को प्राथमिकता के साथ आगे लाया है वहीं नई पीढ़ी को भी इसका अहसास कराया है।

आज मई दिवस अर्थात मजदूर दिवस के अवसर पर उस बासी की परंपरा को फिर से जीवित किया है। जिसे लोग भुल गये थे। मुख्यमंत्री श्री बघेल के छत्तीसगढ़ बोलने की परंपरा यहां तक की आईएएस, आईपीएस, अधिकारी, कर्मचारी, नेता, राजनेता, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति, खिलाड़ी ही नहीं, छत्तीसगढ़ वासी नहीं होने के बावजूद भी अधिकारियों ने आज भी इस परंपरा को अपने अपने ढंग से जीवंत बनाने का प्रयास किया है। 


 मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अपील व आव्हान पर आज मजदूर दिवस के अवसर पर अपने आहार एवं संस्कृति की अनुभूति के लिए देश विदेश के कोने में बसे छत्तीसगढ़ के लोग बोरे बासी खाकर शानदार प्रस्तुति की बासी खाने परंपरा का इतिहास दशकों पुराना है। बासी खाने के लिए चांवल को रात्रि में डूबो दिया जाता। सुबह नमक प्याज, हरी मिर्च के साथ जरूरतमंद लोग इस परंपरा को आज भी जारी रखें है। आज जिस ढंग से पूरे प्रदेश में बोरे बासी परंपरा को फिर से जीवीत किया गया।

आज की नई पीढ़ी पढ़े लिखे युवा भी बासी का आनंद लेते दिखे। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्र में आज भी बासी खाने की परंपरा से उसे क्षेत्र के विधायक नेता, जनप्रतिनिधि, कलाकार बकायदा छत्तीसगढ़ गीत गाकर बासी खाकर इस परंपरा से जुड़ते दिखे। छत्तीसगढ़ी फिल्मी कलाकार, गायिका, इंदिररा कला संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति पदमश्री डॉ. ममता चंद्राकर, वैसे भी घर में बासी खाने की पंरपरा को परिवार के लोग जीवित रखें हैं।

आज वो भी खुलकर सामने दिखी। नई पढ़ी लिखा युवा पीढ़ी ने भी अपने परिजनों के साथ इसका आनंद लिया। मुख्यमंत्री भुपेश बघेल छत्तीसगढ़ को लेकर नीति नये प्रयोग व नई प्रस्तुति के साथ बड़ी आसानी से लोगों को अपने साथ जुड़ते दिखते भूपेश बघेल अपने कार्यकाल के साढ़े तीन वर्ष में जितनी योजनाएं, कार्यक्रम, छत्तीसगढ़, संस्कार ,संस्कृति, तीज, त्यौहार, वेशभूषा रहन सहन आयोजन कार्यक्रम को महत्व दिया है। इससे यही प्रतीत होता है कि आने वाले विधानसभा का आम चुनाव भी इन्हीं के खाते में दर्ज हो इसकी चर्चा भी दबे स्वर में विपक्ष भी करते हुए देखे जा सकता है।

वैसे भी आदिवासी पिछड़ा वर्गअंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के अवसर पर प्रदेश के श्रमवीरों के सम्मान स्वरूप मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल के आव्हान पर जनप्रतिनिधियों, सभी अधिकारी, श्रमिक किसान, गणमान्य नागरिक एवं जनसामान्य सभी ने छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय आहार बोरे-बासी का आनंद लिया।

छत्तीसगढ़ राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष  दलेश्वर साहू एवं उनकी पत्नी मती जय साहू, अध्यक्ष अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण  भुनेश्वर बघेल, खुज्जी विधायक मती छन्नी चंदू साहू, खैरागढ़ विधायक श्रीमती यशोदा नीलाम्बर वर्मा, महापौर मती हेमा देशमुख, कलेक्टर  तारन प्रकाश सिन्हा, पुलिस अधीक्षक  संतोष सिंह, खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई के ओएसडी  जगदीश सोनकर, जिला पंचायत सीईओ  लोकेश चंद्राकर ने बोरे-बासी का आनंद लिया और सभी को श्रमिक दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी।

बाहुल्य छत्तीसगढ़ में अब लोगों की स्वीकारता इस वर्ग के आने वाले समय में हो इसमें आश्चर्य नहीं होगा। 

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