दिगंबर जैन मंदिरों में दशलक्षण पर्व की धुम….. लघु नाटिका के माध्यम से बहुत ही मार्मिक तरीके से “असि – आवश्यकता वर्तमान की” का मंचन…. आत्मा को विशुद्ध करके परम पद से आभूषित हुआ जा सकता है, यही तप का माहात्म्य है – पंडित जयदीप शास्त्री
बिलासपुर(अमर छत्तीसगढ) 15 सितंबर। ऐसा विराट व्यक्तित्व दुर्लभ रहा है, जो एक से अधिक परम्पराओं में समान रूप से मान्य…