आनंद समवशरण में पानी में जीवो की उत्पत्ति विषय पर परिचर्चा में किया संबोधित
दुर्ग(अमर छत्तीसगढ़) आनंद समवशरण दुर्ग के प्रांगण में कल रात्रि को युवाचार्य महेंद्र ऋषि जी एवं छत्तीसगढ़ प्रवर्तक श्री रतन मुनि के सानिध्य में मैं पानी में जीवो की उत्पत्ति विषय पर टाटानगर से आए विज्ञान रत्न से सम्मानित वैज्ञानिक डॉक्टर जीवराज जैन ने परिचर्चा को वैज्ञानिक आधार और सिद्धांतों को सरल भाषा में संबोधित किया संबोधित किया इस अवसर पर जैन समाज के सभी वर्ग संप्रदाय के प्रमुख सदस्यों ने इस परिचर्चा में हिस्सा लिया ।
डॉ जीवराज जैन ने कहा सचित कच्चा पानी में जीवो की जनसंख्या कम मात्रा में पाई जाती है और अचीत पानी में जीवो की उत्पत्ति बहुत अधिक मात्रा में होती है । कई छोटे-छोटे उदाहरणों एवं वैज्ञानिक शोध के कई परिणाम को आपने इस परिचर्चा में साझा किया ।
डॉ जैन ने कहा अभी तक विज्ञान, जल को जीव नहीं मानता था। लेकिन जैन आगमों के अनुसार पानी एक इंद्रिय वाला जीव होता है।
गर्व से जानिए कि किस प्रकार भारतीय विज्ञानी ने जीव की सार्वभौमिक परिभाषा ईजाद करके,श सिद्ध कर दिया कि जल भी जीव होता है। ऐसा जीव, जिसका शरीर ही पानी से बना होता है ।
इस परिचर्चा को युवाचार्य श्री महेन्द्र ऋ्षीजी म.सा. का उत्साहवर्धक सान्निध्य और प्रमुख दिगंबर, श्वेताम्बर साधु साध्वी का आशीर्वाद मिला ।
अभी तक विज्ञान, जल को जीव नहीं मानता था। लेकिन जैन आगमों के अनुसार पानी एक इंद्रिय वाला जीव होता है।
हमारी अहिंसक जीवन शैली के तहत जैन लोग केवल निर्जीव और प्रासुक जल का ही उपयोग क्यों करते हैं
इस सेमीनार का उद्देश्य सभी जिज्ञासुओं को जल पर हुए नवीनतम क्रांतिकारी आविष्कार को करीब से समझाने और पेय जल से होने वाले कैंसर जैसी भयंकर बिमारियों से बचने के आसान तरीकों को समझाते कई रोचक तथ्य प्रस्तुत किए और अधिक से अधिक लोग भस्मी जल का प्रयोग कर विभिन्न प्रकार की गंभीर होने वाली गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है 1 लीटर गर्म पानी में 3 ग्राम गोबर राख को पानी में मिलाकर उसे कुछ समय बाद निथार कर उस पानी का उपयोग पीने के लिए किया जा सकता है ।