सनसिटी में संतों को सुनने के लिए उमड़े श्रद्धालु
गुरुवार को सुबह 9 बजे जैन बगीचा प्रांगण में होंगे प्रवचन सत्संग समारोह
राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) 23 नवंबर। ‘‘परिवार की खुशहाली और पारिवारिक रिश्तों में प्रेम बनाए रखने के लिए हमेशा परिवार के बड़े-बुुुजुर्गों की सेवा-सुश्रुषा से उनके लाड़-प्यार को निभा लो। एक दिन बुढ़ापा सबको आना है, आज आपने बड़ों की सेवा नहीं की तो कल आपके बच्चे भी वैसा ही करेंगे। वे किस्मत वाले होते हैं जिनके घर में बड़े-बुजुर्गों का साया होता है। अगर आप अपने घर वालों से वास्तव में प्रेम करते हैं तो याद रखना कभी भी बड़ों का दिल मत दुखाना। वैसे ही घर के बड़े-बुजुर्ग भी अपना फर्ज निभाएं कि घर पर आई बहु को बेटी से भी ज्यादा प्रेम दें। पराए घर की बेटी को घर पर लाना बहुत सरल है पर उसके दिल को जीतना यह बहुत बड़ी साधना है। हर सासु मां अपनी बहु को इतना प्रेम दे कि वह अपना पीहर भूल जाएं। और बहुएं अपनी सासु मां को इतना सम्मान दें कि वे बहु ही नहीं बेटी बन जाएं। घर में जब प्रेम का ऐसा माहौल होता है तब घर स्वर्ग बनता है, जहां रिश्तों में माधुर्य, प्रेम पलता है। राज्य शहर व समाज से पहले परिवार है। समाज के मेम्बर बाद में बन जाना, अगर बनना है तो सबसे पहले अपने घर के मेम्बर बनकर घर के बड़े-बुजुर्गों को सम्हाल लेना।’’
ये प्रेरक उद्गार राष्ट्रसंत महोपाध्याय श्रीललितप्रभ सागरजी महाराज ने बुधवार को सनसिटी परिवार द्वारा सनसिटी प्रांगण में आयोजित प्रवचन समारोह के दौरान ‘परिवार की खुशहाली के 5 टिप्स’ विषय पर व्यक्त किए। राष्ट्रसंत चंद्रप्रभजी रचित भावपूर्ण भजन ‘स्वर्ग सरीखा लगे सुनहरा, मंदिर सा सुंदर हो, ऐसा अपना घर हो…’ का गायन करते हुए संतप्रवर ने श्रद्धालुओं के मानस-पटल पर घर को स्वर्ग कैसे बनाया जा सकता है, इसकी सुंदर तस्वीर उकेरी।
संतप्रवर ने आगे कहा कि आपके सामने चार विकल्प हैं। नंबर एक- ऐसी बूढ़ी महिला जो वृद्धाश्रम में बैठी है। नंबर दो- एक और बूढ़ी महिला जो सड़क किनारे बैठी है। नंबर तीन- एक और बूढ़ी महिला जो अस्पताल में एडमिट है। नंबर चार- आपके घर में रहने वाले आपके बूढ़े दादा-दादाजी जिन्हें आपकी सेवा की जरूरत है। अब जरा बताएं कि आप पहली सेवा कहां से शुरू करेंगे। सीधी-सादी बात है, सेवा की जब शुरुआत करो तो घर से करो। घर का मेम्बर बनकर घर को सम्हालना यह बहुत बड़ी साधना है। उन माता-पिता की रोज सवेरे धोक लगाया करो, जिन्होंने अपने खून से आपका वपन किया है। अगर आप चार-पांच भाई हैं और जब भी बंटवारे की बात आए तो आप अपना पहला हिस्सा मांग लेना, कोई दुकान, मकान, ओफिस मांगे पर आप अपने हिस्से में मॉँ-बाप को मांग लेना। आपका मालामाल होना तय है, क्योंकि इससे बड़ा माल दुनिया में और कोई होता ही नहीं। जिस मां ने आपको जन्म देने गहन प्रसव पीड़ा सही, उस मां के बुढ़ापे में यदि उसे दर्द में जीने की नौबत खड़ी कर देना इससे बड़ा महापाप और क्या हो सकता है।
पहले मकान कच्चे तो रिश्ते सच्चे होते थे
संतश्री ने कहा कि पहले मकान कच्चे होते थे और रिश्ते सच्चे होते थे। पहले लोगोें के मकान छोटे होते थे पर उनमें रहने वालों के दिल बहुत बड़े होते थे। पहले नौ-नौ, दस-दस भाइयों का परिवार साथ-साथ रहा करता था। आज मकान जरूर बड़े गए पर लोगों के दिल छोटे हो गए हैं। जिंदगी में रिश्तों के प्रेम को निभाने का तरीका यही है, अगर कोई कडुवी बात आ जाए तो उसे सूखी मिट्टी पर लिख दो, ताकि हवा का झोंका आए तो वह उड़ जाए और अगर कोई मीठी बात हो जाए तो उसे पत्थर पर लिख दो ताकि वह जिंदगी भर याद रहे। परिवार का निर्माण कभी खूबसूरत कोठियों से नहीं होता। याद रखना अमीरों की जिंदगी में भी कभी झंझटें आती हैं और गरीबों की जिंदगी में भी कभी खुशहाली के दिन आते हैं। जरूरी नहीं है कि कोठियों में स्वर्ग पलता है, कई बार हमने कोठियों में नर्क को पलते देखा है और झोपड़ियों में स्वर्ग को पलते देखा है। खूबसूरत बाथरूम से आदमी का घर स्वर्ग नहीं बन जाता, घर को स्वर्ग बनाने के लिए आदमी को बड़ा सेक्रिफाइस, बड़ा त्याग करना पड़ता है। उन्होंने कहा- आज नीम के पेड़ तो कम हो गए पर आज आदमी की जबान की कडुवाहट बढ़ गई और जबान की मिठास खत्म हो गई, परिणाम परिवार का माधुर्य और प्रेम भी जाता रहा।
घर को मानिए मंदिर
संतश्री ने घर को स्वर्ग बनाने के पांच टिप्स प्रदान किए। उनमें पहला है- अपने घर को घर ही नहीं अपितु घर को मंदिर मानिए। मंदिर में हम सब प्रेम-आनंदपूर्वक सत्कर्म किया करते हैं तब हम घर में सब मिल-जुलकर रहेंगे। जीरों की कीमत तभी बढ़ती है जब उसके साथ इक्का जुड़ जाये और परिवार की कीमत तभी होती है जब सब एक हो जाएं। भले आज रोजगार-व्यवसाय आदि कारणों से बाहर अलग-अलग रहना पड़े पर जब भी एक होने का वक्त आए तो सब एक हो जाएं। जिंदगी में रिश्तों को कभी मत तोड़ना। क्योंकि गंदा पानी पीने के काम तो नहीं आता पर कभी आग लग जाए तो उस आग को बुझाने जरूर काम आता है। घर को स्वर्ग बनाने का दूसरा टिप्स है- घर में कभी तनाव और टूटन को मत रखो। यदि आप मुखिया हैं तो उसके कारण तक जाकर उसका निवारण अवश्य करो। क्योंकि घर में बड़ा वो नहीं होता जो उम्र में बड़ा होता है, घर में बड़ा वो भी नहीं होता जो पैसों में बड़ा होता है, घर में बड़ा वो होता है जो बड़प्पन दिखाने तैयार होता है। तीसरा टिप्स है- घर में शब्दों का इस्तेमाल बहुत सावधानी और विवेक से करें। चौथा है- जब भी बोलें लाड़ की भाषा बोलें, राड़ की भाषा न बोलें। घर ही नहीं अपने व्यवहार जगत में भी जब भी बोलें सम्मानपूर्वक और सम्मानसूचक बोलें। मीठी-मधुर जबान अगर पराए भी बोलने जग जाए तो वे एक दिन अपने हो जाएंगे और अपने भी यदि टेढ़ी जबान बोलना शुरू कर दें तो वे भी एक दिन पराए हो जाएंगे। अगर आपकी आंखें सुंदर हैं तो दुनिया आपको सुंदर बोलेगी और अगर आपकी जबान सुंदर है तो आप दुनिया को सुंदर बोलेंगे। घर को स्वर्ग सा बनाने पांचवा टिप्स है- हम सब यह संकल्प लें कि मैं कभी भी स्वार्थी नहीं बनुंगा अपितु सारथी बनुंगा। जिनके साथ रहते हो उनके काम आने वाले बनो। दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं- काम निकालने वाले लोग और काम आने वाले लोग। पर सोचो याद कौन किए जाते हैं। दुनिया में टक्कर मारने वाले कभी याद नहीं किए जाते और काम बनाने वाले, टिप अर्थात् योगदान देने वाले याद किए जाते हैं।
परिवार को दें ट्रस्ट, टाइम और टॉकिंग
संतप्रवर ने कहा कि याद रखें परिवार की खुशहाली को बनाने के लिए परिवार को तीन चीजें चाहिए- ट्रस्ट, टाइम और टॉकिंग। जितना जरूरी आप यह सोचते हैं कि लोग मुझ पर भरोसा करें, उतना ही जरूरी है आप भी उनका भरोसा न तोड़ें। परिवार को समय दें, परिवारजनों के साथ बैठकर वार्तालाप करें।
कभी न तोड़ें ये चार चीजें
आज संतश्री ने श्रद्धालुओं से चार चीजें अपने हाथ से जानबूझकर कभी ना तोड़ने का नियम लेने का अनुरोध किया। वे हैं- जिंदगी में कभी भी रिश्ता मत तोड़िए। कभी भी किसी का विश्वास मत तोड़िए। किसी को दी हुई जुबान या वचन मत तोड़िए। यानि अपने दिए हुए वचन को मरते दम तक निभाएं। और चौथा है- कभी किसी का दिल मत तोड़िए।
इससे पूर्व श्री शांतिप्रिया सागर जी महाराज ने श्रद्धालु भाई बहनों को जीवन से तीन मंत्र जोड़ने की प्रेरणा देते हुए कहा कि जिंदगी में कभी शिकायत ना करें, दूसरों से तुलना ना करें और कभी किसी की आलोचना ना करें साथ जिंदगी भर सुखी रहेंगे।
राष्ट्रसंत गुरुवार को सुबह 9:00 बजे जैन बगीचा प्रांगण में श्रद्धालुओं को सत्संग प्रवचन देंगे, इससे पूर्व सकल जैन समाज और सकल मानव समाज के श्रद्धालु भाई बहनों द्वारा प्रातः 8:00 गायत्री चौक से विराट सत्संग शोभा यात्रा का आयोजन होगा।