अणुव्रतों को छोटे-छोटे व्रतों को किसी भी धर्म, जाति का व्यक्ति स्वीकार कर सकता है क्योंकि उपासना पद्धति अलग हो सकती है, किन्तु नैतिकता एक ही जैसी
बिलासपुर(अमर छत्तीसगढ़) 16 सितंबर। श्री दशा श्रीमाली स्थानकवासी जैन संघ टिकरापारा में पर्युषण महापर्व का आज पांचवा दिन चल रहा है पर्यूषण पर्व का पांचवा दिन महावीर जन्म कल्याणक मनाया जाता है और इस दिन भगवान महावीर के द्वारा बताए गए मार्ग का उद्बोधन किया जाता है।
आज नीला बेन के द्वारा भगवान महावीर के जन्म कल्याणक दिवस पर भगवान महावीर के जन्म का विस्तार से वर्णन किया गया कि भगवान की माता त्रिशला जी को एक रात्रि पूर्व 14 सपना आए थे और दूसरे दिन भगवान महावीर का जन्म साढ़े 9 महीने बाद होता है। संपूर्ण कुंडलपुर में उजाला हो जाता है। भगवान महावीर का यह 27 वा भव था और अपने इस 27 वे भव के बाद भगवान महावीर जी को मोक्ष प्राप्त हुआ।
स्मिता बेन के द्वारा बताया गया कि भगवान महावीर ने 27 वर्ष के बाद दीक्षा ली और दीक्षा लेने के तुरंत बाद उपवास तप करना शुरू कर दिया था और 5 महीने एवं 25 दिन तक का लगातार प्रवास किया उपवास के दौरान उन्होंने पारणा करने हेतु अभिग्रह धारण किया था जो की बहुत ही कठिन था। और एक दिन चंदनबाला के द्वारा उनका कठिन अभिग्रह पूर्ण हुआ और उन्होंने अपने उपवास तप का पारणा किया। भगवान महावीर 72 वर्ष की आयु तक धरती पर रहे उसके पश्चात उनको देवलोक ले जाने के लिए इंद्रदेव का पुष्पक विमान आया था फिर वह पुष्पक विमान में विराजमान होकर देवलोक को गमन किये।
तपस्वी श्रीमती भाविका तेजाणी श्रीमती वीणा तेजाणी श्रीमति श्रुति कोठारी
आज के प्रवचन में भगवान दास भाई सुतारिया, शरद दोशी, प्रवीण दामाणी, प्रदीप दामाणी, सौरभ कोठारी,हितेश सुतारिया, गोपाल वेलाणी,नरेंद्र तेजाणी, राजू तेजाणी, पारुल सुतारिया, भावना गांधी, तरुणा देसाई, दीपा सुतारिया,करिश्मा देसाई,दीपिका गांधी, मीना तेजाणी, सुधा गांधी, शीतल तेजाणी, हेमा तेजाणी, ज्योत्सना जैन, वत्सला कोठारी और भी अधिक मात्रा में समाज के सभी सदस्य मौजूद थे।
जैन तेरापंथी समाज वैशाली नगर
जैन तेरापंथी समाज द्वारा वैशाली नगर में चल रहे पर्युषण महापर्व के पांचवे दिन अणुव्रत चेतना दिवस पर जाप और प्रेक्षा ध्यान के बाद उपासक जयन्तीलालजी ने बताया कि एक राष्ट्र के पास कई प्रकार के बल होते हैं जैसे सैन्य बल, संपत्ति बल, बुद्धि बल आदि लेकिन चारित्र का बल बहुत बड़ा बल है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद आचार्य तुलसी ने साधारण जनता के नैतिक उत्थान के लिए एक बहुत बड़ा अवदान दिया, वह था-अणुव्रत आंदोलन। अणुव्रतों को छोटे-छोटे व्रतों को किसी भी धर्म, जाति का व्यक्ति स्वीकार कर सकता है क्योंकि उपासना पद्धति अलग हो सकती है, किन्तु नैतिकता एक ही जैसी है। प्रवक्ता उपासक दिनेश कोठारी ने तालाब के उदाहरण से बताया कि जैसे तालाब में चारों ओर से पानी आता है वैसे ही जीव के आश्रव रूपी छेदों से कर्म रूपी पानी आता रहता है। संवर के प्रयोग से आश्रव रूपी पानी आने के रास्तों को बंद कर निर्जरा (अनशन, ऊणोदरी, भिक्षाचरी .. आदि 12 प्रकार के तप ) रूपी बाल्टी की सहायता से कर्म रूपी पानी को बाहर निकालकर जीव कर्मों से हल्का होकर, मोक्ष मार्ग पर उन्नति कर सकता है। आगे सम्यक्त्व के लक्षण, भूषण, दूषण आदि कि चर्चा करते हुए सम्यक्त्व को पुष्ट करने के कई उपाय बताए।
इस अवसर पर मनोज धारीवाल, पुनीत दुग्गड़, कन्हैयालाल बोथरा, मेहुल छल्लानी, बिनोद लूनिया, शीला छल्लानी, नीतू जैन, भीखम दुग्गड़, रमेश नाहर, चंद्र प्रकाश बोथरा, अमित बोथरा, कमला दुग्गड़, भारती भंसाली, कुसुम लूनिया, अर्चना नाहर, सोनम नाहर, अंजू गोलछा, निकिता गोलछा, सारिका नाहर, भावना जैन, ललिका जैन, संगीता जैन, कांवरी जैन, सहित समाज के लोग उपस्थित थे