फास्ट ट्रेक कोर्ट का फैसला…. बलात्कारी को 10 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा

फास्ट ट्रेक कोर्ट का फैसला…. बलात्कारी को 10 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा

राजनांदगांव (अमर छत्तीसगढ) 29 जून।

फास्ट ट्रैक कोर्ट, जिला न्यायालय राजनांदगांव के माननीय अपर सत्र न्यायाधीश विजय कुमार साहू द्वारा बलात्कार के एक मामले में सुनवाई उपरान्त आज दिनाँक 29 जून 2024 को फैसला सुनाते हुए आरोप साबित पाये जाने पर अभियुक्त छत्रपाल घावडे, उम्र 24 वर्ष, निवासी थाना मोहला क्षेत्रान्तर्गत ग्राम को भारतीय दण्ड विधान की धारा 376 (2) (ड) के तहत् 10 (दस) वर्ष का सश्रम कारावास एवं 2000 रूपये के अर्थदंड अर्थदंड की राशि अदा न किये जाने की स्थिति में 06 (छ) माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास की सजा से दण्डित किये जाने का दण्डादेश पारित किया गया।

मामले में छत्तीसगढ़ राज्य की ओर पैरवी करने वाले अतिरिक्त लोक अभियोजक, फास्ट ट्रेक कोर्ट राजनांदगांव आदित्य प्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि, पीड़िता व अभियुक्त का एक-दूसरे से परिचय पढ़ाई के दिनों से था। वर्ष 2018, 2019 एवं 2020 में उनका प्रेम संबंध चल रहा था और अभियुक्त छत्रपाल उसे शादी का प्रलोभन देकर उसके साथ अलग-अलग जगहों पर शारीरिक संबंध बनाता रहा, जिसके परिणामस्वरूप पीड़िता गर्भवती हो गयी, जिसकी जानकारी पीड़िता के द्वारा अभियुक्त को दी गई।

पीड़िता के जांच पर मोहला के डॉक्टर ने पीड़िता को सोनोग्राफी कराने की सलाह दी गई। पीड़िता का सोनोग्राफी कराया गया जिसमें डॉक्टर ने पीड़िता को गर्भवती होना बताये। पीड़िता के गर्भवती होने की जानकारी होने पर अभियुक्त छत्रपाल ने बच्चा को गिराने का प्रयास किया जिसके लिये डॉक्टरों ने इन्कार कर दिया। फिर अभियुक्त पीड़िता को अपनी माँ बहन जहाँ काम करते थे, वहीं ले जाकर छोड़ दिया।

अभियुक्त ने पीड़िता के पिता के सामने अपनी गलती स्वीकार किया और अपने घरवालों को लेकर आने की बात किया लेकिन नहीं आया। इसकी शिकायत पीड़िता के पिता के द्वारा समाज में भी किया गया था। बाद में घटना की लिखित शिकायत पीड़िता के द्वारा थाना मोहला में की गई थी जिस पर थाना मोहला के द्वारा अभियुक्त छत्रपाल धावडे के विरुद्ध भारतीय दण्ड विधान की धारा 366, 376 (2) (एन) के तहत् प्रथम सूचना पत्र दर्ज किया जाकर प्रकरण जांच में लिया गया। दौरान जांच के अभियुक्त छत्रपाल को गिरफ्‌तार कर जेल भेजा गया तथा संपूर्ण जांच उपरान्त अभियोग पत्र विचारण हेतु न्यायालय के समक्ष पेश किया गया था।

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