रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 20 जुलाई।
युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री सुधाकर जी एवं सहवर्ती मुनि श्री नरेश कुमार जी के सानिध्य में आचार्य भिक्षु का 299वां जन्म दिवस एवं 267वां बोधि दिवस का आयोजन लाल गंगा पटवा भवन में किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
मुनि सुधाकर ने कहा- आचार्य श्री भिक्षु का जीवन आदर्श पारायण था। वे अहिंसा संयम और तपस्या की त्रिवेणी में हर समय पूरी जागरूकता से स्नान करते थे। आत्मबल और पुरुषार्थ के सजीव उदाहरण थे। हमें आचार्य श्री भिक्षु जैसे महापुरुषों के आदर्शों का श्रद्धा से अनुसरण करना चाहिए। तभी हम उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं। आचार्य श्री भिक्षु आत्मार्थी और सत्यशोधक थे। वे परंपरा से अधिक सत्य के उपासक थे। वे आध्यात्मिक दार्शनिक थे। उनका अध्यात्म- दर्शन वीतरागता की साधना पर केंद्रित है। किसी संप्रदाय का प्रवर्तन करना उनका लक्ष्य नहीं था। उनके तप: पूत चरण आगे बढ़ते गए और मार्ग बनता गया।
मुनिश्री नरेश कुमार जी ने गीत के माध्यम से भावना व्यक्त की ।