पहले पांचों इन्द्रियों व चारों कषायों को नियंत्रित कर लोभ का मुण्डन करे फिर कराए सिर का लोच…. सुखी जीवन का एक ही फार्मूला, नहीं बोले कुछ कम है, बोले बस इतना ही काफी है-समकितमुनिजी

पहले पांचों इन्द्रियों व चारों कषायों को नियंत्रित कर लोभ का मुण्डन करे फिर कराए सिर का लोच…. सुखी जीवन का एक ही फार्मूला, नहीं बोले कुछ कम है, बोले बस इतना ही काफी है-समकितमुनिजी

ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ के तत्वावधान में चातुर्मासिक प्रवचन

हैदराबाद(अमर छत्तीसगढ), 19 अगस्त। जीवन में लोभ को खत्म करना होगा। लोभी को हमेशा कुछ कम लगता है ओर ये मानसिकता कई बार सब कुछ कम करा देती है। दो वाक्य का ध्यान रखे एक कुछ कम है ओर दूसरा बस इतना ही काफी है। कुछ कम है कि सोच जीवन के कल्याण में बाधक है तो बस इतना ही काफी की सोच व्यक्ति को संतुष्ट बना सुखी रखती है। खुश रहने व तनावरहित सुखी जीवन का एक ही फार्मूला है कि कुछ कम है वाली सोच का त्याग करे ओर पूरी मेहनत के बाद जो प्राप्त हो रहा बस इतना ही काफी है वाली सोच रहे। हम लोभ कम नहीं कर पाए तो जितना मिला उतना भी कम प्रतीत होगा।

ये विचार श्रमण संघीय सलाहकार राजर्षि भीष्म पितामह पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के ़सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि लोभी व्यक्ति अपनी नींद, दान पुण्य, परिवार को समय सब कुछ कम कर देता है। ये सोच व्यक्ति को घनचक्कर बना देती है ओर इस चक्रव्यूह से बाहर निकलना कठिन होता है। बस इतना ही काफी है की सोच वाला व्यक्ति जीवन में बहुत अधिक उम्मीदें नहीं रख जो हो रहा उसमें सतुष्टि के भाव रखता है। ऐसी सोच वाले ही कह सकते शरीर पूरा साथ नहीं देता पर अपने कार्य कर लेता हूं बस यहीं काफी है।

मुनिश्री ने कहा कि आगम में दस तरह के मुण्डन बताए गए है जिनमें सबसे अंतिम सिर का मुण्डन बताया गया है। श्रावक के लोच कराने का कोई जिक्र इनमें नहीं है। पहले नौ तरह के मुण्डन होने के बाद सिर का मुण्डन कराना है लेकिन आजकल श्रावक के सिर के लोच (मुण्डन) कराने का चलन बढ़ रहा है।

ऐसे लोच कराने वाले कई श्रावक वहां से जाकर ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करते, झूठ बोलते कपट करते है तो लोच कराने का कोई लाभ नहीं है। उन्होंने कहा कि सिर का लोच कराने से पहले जरूरी झूठ, कपट, बेईमानी, अनीति को छोड़ना है। पहले पांचों इन्द्रियों व चारों कषायों पर नियंत्रण करे फिर सिर का लोच करे। करना है तो लोभ का मुण्डन कराओ अन्य बुराईयां स्वतः ही खत्म हो जाएगी।

लोभ ही इंसान को गलत कार्य करने के लिए भगाता है। लोभ खत्म होते ही केवल ज्ञान हो सकता है। मुनिश्री ने रक्षाबंधन पर्व पर सभी के लिए मंगलभावनाएं व्यक्त की। उन्होंने प्रवचन के अंत में पूना में साध्वीवर्या मंजूश्रीजी म.सा. के संथारापूर्वक देवलोकगमन होने पर श्रद्धासुमन अर्पित किए। धर्मसभा में गायनकुशल जयवन्त मुनिजी म.सा. ने भजन ‘‘सावन का महीना राखी का त्यौहार’’ की प्रस्तुति दी।

प्रवचन में प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा. का सानिध्य भी रहा। अतिथियों का स्वागत ग्रेटर हैदराबाद संघ द्वारा किया गया। धर्मसभा का संचालन ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ के मंत्री पवन कटारिया ने किया। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन प्रवचन सुबह 8.40 से 9.40 बजे तक हो रहा है। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन रात 8 से 9 बजे तक चौमुखी जाप का आयोजन भी किया जा रहा है।

निरन्तर प्रवाहित हो रही तपस्या की धारा

पूज्य समकितमुनिजी म.सा. आदि ठाणा के सानिध्य में एतिहासिक चातुर्मास के दौरान तपस्या की धारा निरन्तर प्रवाहित हो रही है। प्रवचन के दौरान सोमवार को युवा श्रावक रतनजी बोहरा ने 11 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। उनका तप की बोली के साथ श्रीसंघ द्वारा सम्मान व बहुमान किया गया। कई श्रावक-श्राविकाओं ने उपवास, आयम्बिल,एकासन आदि तप के प्रत्याख्यान भी लिए।

बियासना तप के साथ पांच दिवसीय प्रवचनमाला जुग जुग जियो 22 अगस्त से

पूज्य समकितमुनिजी म.सा. के सानिध्य में 22 से 26 अगस्त तक आशीर्वाद के महत्व पर पांच दिवसीय विशेष प्रवचनमाला ‘जुग जुग जियो’ का आयोजन बियासना तप की आराधना के साथ होगा। प्रतिदिन प्रवचन के अंत में पांच मिनट की विशेष आराधना भी सम्पन्न कराई जाएगी। मुनिश्री ने कहा कि बियासना तप करके हम अपने मन के साथ काया को भी प्रसन्न कर सकते है। इसी तरह चातुर्मास में 28 से 31 अगस्त तक परिवार मे बेटी के महत्व को प्रदर्शित करने वाली प्रवचनमाला पापा की परी का आयोजन होगा।

निलेश कांठेड़
मीडिया समन्वयक, समकित की यात्रा-2024
मो.9829537627

Chhattisgarh