मंदिर जाकर पूजन-हवन और अनुष्ठान करना क्रिया है, कषायमुक्त धर्म करोगे तो आपका कल्याण हो जाएगा- श्री श्रमणतिलक विजय जी

मंदिर जाकर पूजन-हवन और अनुष्ठान करना क्रिया है, कषायमुक्त धर्म करोगे तो आपका कल्याण हो जाएगा- श्री श्रमणतिलक विजय जी

आत्मकल्याण वर्षावास 2024

रायपुर(अमर छत्तीसगढ) 21 अगस्त। न्यू राजेंद्र नगर स्थित वर्धमान जैन मंदिर के मेघ-सीता भवन में चल रहे आत्मकल्याण वर्षावास 2024 की प्रवचन श्रृंखला में बुधवार को परम पूज्य श्रमणतिलक विजय जी ने कहा कि लोग बाहर से सुखी दिखने के लिए अंदर से अपने आप को कितना नीचे गिरा रहे हैं, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है।

आज प्रशंसा पाने के लिए लोग कुछ भी करने को तैयार हैं और जो उनकी तारीफ करने में लगे रहते हैं, उन्हें यह नहीं पता होता कि उस व्यक्ति के पीछे की सच्चाई क्या है। जबकि आपको अंदर से अपने आप में सुधार लाना है और बाहर कौन क्या बोलता है इसकी चिंता आपको नहीं करनी है क्योंकि कोई भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। अगर आप अंदर से सुधर जाएंगे तो बाहर बोलने वालों के शब्दों का आप पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

मुनिश्री कहते है कि आज लोग मंदिर जाकर पूजा-अर्चना करते हैं और यह परंपरा अनादि काल से चली आ रही है लेकिन आप केवल मंदिर जा रहे हैं, धर्म नहीं कर रहे हैं। आप मंदिर जाते हैं, उपवास करते हैं, हवन-पूजन करते हैं, विधि-विधान से अनुष्ठान करते हैं, दान करते है पर आपको पता नहीं कि यह सिर्फ क्रियाएं हैं। यह सब करके आपको ऐसा लगता है कि आपने बहुत धर्म कर लिया है। अगर आपने सही प्रकार से कषायमुक्त धर्म किया होता तो आपको मोक्ष की राह दिखने लगती।

मुनिश्री ने कहा कि आज लोगों में केवल शुभ भाव है लेकिन शुद्ध भाव नहीं है। शुभ भाव और शुद्ध भाव का अंतर बताते हुए मुनिश्री कहते हैं कि आपको दान करने का विचार आया तो यह शुभ भाव है। जिस दिन आपको यह दुनिया खारी लगने लगे, पैसे से मोह भंग हो जाए और संसार के सभी भौतिक सुख खराब लगने लगे तो समझ लेना आपके अंदर शुद्ध भाव चुका है।

पैसा, परिवार और यह संसार एक बीमारी की तरह है, यह छूटती नहीं है। अगर आपके शरीर में कोई बीमारी आ जाए और डॉक्टर कह दे कि इसका कोई इलाज नहीं है, आप लास्ट स्टेज में पहुंच गए हैं, तब आप क्या करते हैं। आप यह मान लेते है कि इस बीमारी के साथ ही आपको जीवन व्यतीत करना है और उस बीमारी को नियंत्रित करने में आप जी जान लगा देते हैं लेकिन वह छूटती नहीं है। वैसे ही आज लोग पैसों के मोह को छोड़ना तो चाह रहे है लेकिन छोड़ नहीं पा रहे है।

अक्षयनिधि, समवसरण व कषाय विजय तप 23 अगस्त से
आत्मकल्याण वर्षावास समिति 2024 के अध्यक्ष अजय कानूगा ने बताया कि न्यू राजेंद्र नगर स्थित वर्धमान जैन मंदिर में अक्षनिधि, समवसरण और कषाय विजय तप की शुरूआत 23 अगस्त से होने जा रही है। तपस्वियों के एकासने एवं क्रिया संबंधी समस्त व्यवस्था समिति की ओर से की जाएगी।

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