दो दिवसीय राजयोग साधना द्वारा खुशहाल जीवन कार्यक्रम का उद्घाटन
राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) 10 सितम्बर
क्षणिक क्रोध या आवेश मनुष्य को कभी न सुधरने वाली भूल कर बैठता है। क्रोध से मानसिक तनाव बढ़ता है । क्रोध से मनुष्य का विवेक नष्ट होता है । क्रोध मुर्खता से शुरू होता और कई वर्षो के बाद के पश्चाताप से समाप्त होता है । क्रोध के कारण मनोबल और आत्मबल कमजोर हो जाता है । क्रोध ही अपराधो के मूल कारण बन जाते है । नकारात्मक विचारो से बढ़ता है तनाव । उक्त उदगार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माउंट आबू राजस्थान से आये हुए बी के भगवान भाई ने कहे । वे स्थानीय ब्रह्माकुमारीज राजयोग सेवाकेंद्र द्वारा नवनिर्मित ज्ञान मान सरोवर में दो दिवसीय राजयोग साधना द्वारा खुशहाल जीवन विषय के उद्घाटन कार्यक्रम में पधारे हुए ईश्वर प्रेमी भाई बहनों को संबोधित करते हुए बोल रहे थे ।
भगवान भाई ने कहा कि मन में चलने वाले नकारात्मक विचार, शंका, कुशंका, ईर्ष्या, घृणा, नफरत अभिमान के कारण ही की उत्पति होती है । क्रोध से दिमाग गरम हो जाता है जिससे दिमाग में विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थ उतरते है और इससे ही मानसिक बीमारियां , शरीर की अनेक बिमारिया हो जाती है जीवन में रूखापन आता है । क्रोध से ही आपस में सम्बधो में कडवाह्ट आती है , मन मुटाव बढ़ जाता है । उन्होंने कहा की क्रोध से घर का वातावरण ख़राब हो जाता है और पानी के मटके भी सुख जाते है । जहा क्रोध है वहा बरकत नही हो सकती है । इसलिए वर्तमान में क्रोध मुक्त बनाना जरुरी है । क्रोध करने से ही अनिद्रा , अशांति जीवन में आती है तनाव बढ़ता है जिससे व्यक्ति नशा व्यसनों के अधिन हो जाता है ।
उन्होंने क्रोध मुक्ति बनने के उपाय बताते हुए कहा कि सकारात्मक चिंतन से ही हम सहनशील बन क्रोध मुक्त बन सकते है । सकारात्मक चिन्तन से हमारा मनोबल को मजबूत बन सकता हैं। सकारात्मक चिन्तन द्वारा ही हम क्रोध मुक्त और तनाव मुक्त जीवन जी सकते हैं। सकारात्मक चिंतन से सहनशीलता आती जिससे कई समस्याओं का समाधान हो जाता है। है। मन के विचारों का प्रभाव वातावरण पेड़-पौधों तथा दूसरों व स्वयं पर पड़ता है । यदि हमारे विचार सकारात्म है तो उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने बताया कि जीवन को रोगमुक्त, दीर्घायु, शांत व सफल बनाने के लिए हमें सबसे पहले विचारों को सकारात्मक बनाना चाहिए।
स्थानीय ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र की संचालिका बी के पुष्पा बहन जी ने राजयोग की विधि बताते हुआ कहा कि स्वंम को आत्मा निश्चय कर चाँद, सूर्य, तारांगण से पार रहनेवाले परमशक्ति परमात्मा को याद करना, मन-बुद्धि द्वारा उसे देखना, उनके गुणों का गुणगान करना ही राजयोग हैं । राजयोग के द्वारा हम परमात्मा के मिलन का अनुभव कर सकता हैं । उन्होनें कहा की राजयोग के अभ्यास द्वारा ही हम काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या, घृणा, नफरत आदि मनोविकारों पर जीत प्राप्त कर जीवन को अनेक सद्गुणों से ओतपोत व भरपूर कर सकते हैं।
• दामोदास मूंदड़ा जी समाजसेवी एवं उधोगपति ने अपना उद्बोधन दते हुए कहा की यदि हमारे विचार सकारात्मक है तो उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा । जीवन को सफल बनाने के लिए हमें सबसे पहले विचारों को सकारात्मक बनाना चाहिए ।उन्होंने कहा ब्रह्माकुमारीज सस्था मानव के संस्कार बनाने का कार्य कर रही है । उन्होंने ब्रह्माकुमारी बहनों से निवेदन किया और कहा हमें ऐसे पवित्र संस्था से जोड़कर रखना ।
• समाजसेवी एवं उधोगपति शरद अग्रवाल ने सकारात्मक चिंतन से सहनशीलता आती जिससे कई समस्याओं का समाधान हो जाता है। है। मन के विचारों का प्रभाव वातावरण , स्वयं के और दूसरों जीवन पर पड़ता हे।
दो दिवसीय राजयोग साधना द्वारा खुशहाल जीवन कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्वलन कर अतिथियों ने किया ।
• कुमारी दिव्या ने स्वागत नृत्य कर सभी का स्वागत किया ।
इस कार्यक्रम में डोंगरगढ़, खैररगढ़, कवर्धा, मोहला, गंडई, कुंडा, पांडातराई, चुहिखदान, चौकी, राजनांदगांव और आस पास के ब्रह्माकुमारी पाठशाला के भाई बहनों ने इस कार्यक्रम भाग लिया ।
कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवाकेंद्र कि वरिष्ठ बहने योगेश्वरी बहन , निलेश्वरी बहन , चंद्रकली बहन , सोनिया बहन ,भोज बहन, हेमी बहन , कुंती बहन , दामिनी बहन ने भाई भाग लिया था ।
कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी बहनों ने अतिथियों का गुलदस्ता और तिलक लगाकर स्वागत किया ।
शहर निवासियों के तरफ से उधोगपति दामोदास मूंदड़ा जी ने शाल ओढाकर भगवान भाई जी का स्वागत किया गया ।