अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के युवाओं को उद्योगों की स्थापना के लिए रियायती दर पर मिलेगी भूमि….. मंत्रिपरिषद की बैठक में लिए गए कई निर्णय

अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के युवाओं को उद्योगों की स्थापना के लिए रियायती दर पर मिलेगी भूमि….. मंत्रिपरिषद की बैठक में लिए गए कई निर्णय

सोलर विद्युत आधारित उद्योग उच्च प्राथमिकता तथा काष्ठ पर आधारित उद्योग प्राथमिकता श्रेणी में शामिल

औद्योगिक पार्कों में विस्तार के लिए 3 करोड़ रूपए तक के अनुदान का प्रावधान

धान, चावल उपार्जन में प्रयुक्त होने वाले जूट बैग, बारदाना उच्च प्राथमिकता में शामिल

एमएसएमई सेवा श्रेणी उद्यमों की सूची अनुमोदित

रायपुर, 08 दिसम्बर 2021/ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आज यहां आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में राज्य के अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति वर्ग के युवाओं का औद्योगिक क्षेत्र में प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए उन्हें उद्योग प्रारंभ करने के लिए रियायती दर पर भूमि आबंटन करने का निर्णय लिया गया है। नई औद्योगिक नीति 2019-24 इस संबंध में आवश्यक संशोधन किए जाएंगे।

मंत्रिपरिषद की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक नीति 2019-24 में अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के उद्यमियों को औद्योगिक नीति में वर्णित पिछड़े विकासखण्ड श्रेणी ‘‘द‘‘ में रियायती दर पर विभागीय लैंड बैंक की (औद्योगिक पार्कों/ क्षेत्र के लिए हस्तांतरित भूमि को छोड़कर), अविकसित औद्योगिक प्रयोजन की भूमि आबंटित किए जाने संबंधी प्रावधान एवं अन्य संशोधनों का अनुमोदन किया गया। इसके अलावा अन्य महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।

राज्य में सोलर विद्युत उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सोलर विद्युत से संबंधित प्लांट एवं मशीनरी पर आधारित उद्योगों को उच्च प्राथमिकता की श्रेणी में शामिल करने का निर्णय लिया गया है। इसी प्रकार वन आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए निजी भूमि पर उत्पादन किए जाने वाले काष्ठ पर आधारित उद्योग को भी प्राथमिकता वाले उद्योगों की श्रेणी में शामिल किया गया है।

मंत्रिपरिषद की बैठक में औद्योगिक नीति के अंतर्गत एमएसएमई सेवा श्रेणी उद्यमों की सूची अनुमोदित की गई। उद्योग नीति में पूर्व में किए गए संशोधनों को एक नवम्बर 2019 से प्रभावशील किए जाने का अनुमोदन दिया गया। धान/चावल उपार्जन में प्रयुक्त होने वाले जूट बैग/बारदाना को उच्च प्राथमिकता में शामिल किया गया। राज्य में स्थापित होने वाले निजी औद्योगिक पार्कों में विस्तार के लिए 3 करोड़ रूपए तक के अनुदान का प्रावधान किया गया।

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