रविवारीय पूजन सत्र में सैकड़ों बच्चों ने नवांगी पूजा की बारीकियां सिखी

रविवारीय पूजन सत्र में सैकड़ों बच्चों ने नवांगी पूजा की बारीकियां सिखी

रायपुर (अमर छत्तीसगढ) 24 नवंबर। खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री जिनमणि प्रभ सूरीश्वर जी की प्रेरणा से प्रति रविवार को बच्चों के मन मस्तिष्क में सुसंस्कार के बीजारोपण करने श्री सीमंधर स्वामी जैन मंदिर में सकारात्मक पहल करते हुए बच्चों को प्रभु नवांगी पूजन , देववंदन विधि सिखाई जाती है ।

अनुमोदना स्वरूप बच्चों को पुरस्कृत किया जाता है । श्री सीमंधर स्वामी जैन मंदिर व दादाबाड़ी ट्रस्ट के अध्यक्ष संतोष बैद व महासचिव महेन्द्र कोचर ने बताया कि इस रविवारीय सत्र में बच्चों को पूजा हेतु चंदन घिसना सिखाया गया, नवांगी पूजा में चंदन का उपयोग किया जाता है, शुद्ध चंदन के मुठिया को पत्थर की सिल पर घिसा जाता है , घिसे चंदन को छोटी कटोरी में लेकर परमात्मा के 9 अंगों की पूजा की जाती है, इस हेतु प्रातः से ही बच्चे पूजन के वस्त्र जैन संस्कृति के परिचायक धोती दुप्पटा पहन कर आते हैं , तथा अपने मधुर कंठ से प्रभु भक्ति के श्लोक, नवांगी पूजन के दोहों की भाव पूर्ण अभिव्यक्ति से संपूर्ण मंदिर परिसर भक्ति रस से ओतप्रोत हो जाता है ।

यही नहीं इस प्रयास से बच्चो के माता पिता भी प्रातः से ही पूजन में आने लगे हैं । ट्रस्टी निलेश गोलछा ने बताया कि ट्रस्ट द्वारा भावी पीढ़ी को संस्कारित करने रात्रि धार्मिक पाठशाला का भी संचालित हो रही है । जल भरी सम्पुट पत्र मां , युगलिक नर पूजन , ऋषभ चरण अंगुठडो दायक भवी जल अंत के पवित्र आत्म कल्याणकारी श्लोकों के साथ जब एक साथ सभी बच्चों ने श्री सीमंधर स्वामी जिन मंदिर में प्रभु प्रतिमा के अंगूठे की पूजा से 9 अंगों की पूजा आरम्भ की फिर घुटने , कलाई , कंधा , शिखा , मस्तक , कंठ , हृदय व नाभि की श्लोकों के साथ चंदन पूजा कर आत्मिक शीतलता हेतु पूजा करी ।

ट्रस्टी डॉ योगेश बंगानी ने बताया कि आज 106 बच्चों को जिनप्रतिमा के 9 अंगों के पूजन की विधि हेतु चंदन मुठिया घिसने की जानकारी देकर नवांगी पूजा कराई गई , जैन धर्म में ही भगवान की प्रतिमा में भक्तों द्वारा सीधे पूजन का विधान है । बच्चों को पुरस्कृत किया गया ।

नवांगी पूजा के साथ ही चारों दादागुरुदेव के सम्मुख विधिपूर्वक गुरुवंदन की प्रक्रिया सिखाई गई , बच्चों ने दादागुरुदेव का विधिपूर्वक खमासमना देकर वन्दन किया । अंत में दादागुरुदेव इक्तिसा का पाठ किया गया ।

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